अंतर्द्वंद
Sunday, 25 January 2009
माँ मुझे अब मत रोको!
माँ मुझे अब मत रोको!
मै नहीं अब रुकने वाला!!
सीमा पार मुझको है जाना!
पाक का सीना चीर कर है आना!!
माँ मुझे अब मत रोको!
बहुत हो चुका भरत मिलाप!!
अब तो महा संग्राम होगा!
पाक के खून से भारत माँ तेरा श्रृंगार होगा!!
माँ मुझे अब मत रोको............
1 comment:
Dar
5 February 2009 at 19:32
Touched, very nice
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माँ मुझे अब मत रोको!
सपना
एक पत्र सृष्टि के रचयिता के नाम
Touched, very nice
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