मैं क्यों हार मानूं।
मैं अभी हारा नहीं हूं।।
सूर्य में रोशनी है बाकी।
शरीर में रक्त बहाव है बाकी।।
मैं क्यों हार मानूं।
मैं अभी हारा नही हूं ।।
चंद्रमा में चमक है बाकी।
पैरों में चाल है बाकी।।
मैं क्यों हार मानूं ।
मैं अभी हारा नही हूं ।।
पृथ्वी में गति है बाकी।
मुझ में धैर्य है बाकी।।
मैं क्यों हार मानूं........
Monday 31 January 2011
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