Sunday 28 February 2010

शोर्ट टर्म मेमोरी लोस

जय -होली है होली है!
उमा - अरे सुबह सुबह शोर मत मचाओ, पडोसी डिस्टर्ब होते है
अजय - होने दो, होली है,आज शोर भी होगा और मस्ती भी होगी
उमा- हलके, चाय बनाने दो
अजय - आज तक समझ नहीं आया की चाय बनाने मै इतनी मेहनत कैसेलगती है ?
उमा - बनानी पड़ती है
अजय - अरे गैस पर पतीला रखने में क्या मेहनत..... कोई तुम्हे थोड़ी ना गैस पर उबलना है
उमा - हा हा वैरी फन्नी
अजय - अच्छा पर मै सिरियस था
उमा - मै सिरियस हो गई तो खाना बाहर से आयेगा
अजय - वैसे भी छुटी के दिन केवल चाय ही पिलाती हो और खाना बाहर का ही नसीब होता है
उमा - मै तो कुछ करती ही नही ना
अजय - मै हां कहूँगा तो लडोगी तो नही
उमा- नही....लड़ लो
अजय - नही लड़ सकता ना... वर्ना चाय भी नसीब नही होगी, तुम घंटे भर में चाय बनाओ मै भारत को जगाता हूँ
उमा - किसी को चैन से रहने मत देना ?
अजय - तुम से ही सीखा है, भारत उठो उठो होली है
भारत - गुड मोर्निंग डेड
अजय - अरे भारत उठा हुआ है
भारत - येस
अजय - उमा होली पर चमत्कार हो गया
उमा - क्या ?
अजय - बेटा बिना जगाये जग गया
भारत - डेड मैं बीमार हूँ
अजय - पहले क्यों नही बोला, अभी थर्मामीटर लाता हूँ
भारत - नही बुखार नही है
अजय - बेटा क्या तकलीफ है ? अभी चलते है डॉक्टर के पास यू विल बी फाइन
भारत - तकलीफ कुछ नही है पर मुझे लगता है हम सब को शोर्ट टर्म मेमोरी लोस की बीमारी होगई है
अजय - ये क्या बीमारी है?
भरत - वही जो आमिर खान को गजनी मे हूई थी
अजय - हा... हा... , बेटा वो सब फिल्मो मे होता है
भारत- नही डेड हम सब को यह बीमारी हो गई है
अजय - नही बेटा वो फिल्म दिमाग मे रह गयी इसलिए तुम्हे ऐसा लग रहा है
भारत - नही डेड आई कैन प्रूव
अजय - अच्छा तुम्हे क्यों लगता है की तुम्हे यह बीमारी है?
भारत - मुझे ही नही हम सब को
अजय - अच्छा हम सब को पर तुम्हे ऐसा क्यों लगता है?
भारत - शोर्ट टर्म मेमोरी लोस मे इन्सान को कुछ समय पहले की बाते याद नही रहती है
अजय - वो पता है, बेटा मुझे सब याद है , हम सब ठीक है बस तुम फिल्में देखना कम करो, अब उठो नाश्ता करोफिर होली खेलो
अजय - देखो आज होली है मुझे याद है हा..... हा!
भारत - वो आप को इसलिए याद है क्यों की होली आज की बात है लेकिन कुछ दिनों पहले की दुर्घटना याद होती तोआप होली की बात भी नही करते
अजय - क्या भूल गया , अभी तक तेरी माँ ताने मारती थी कुछ याद नही रखते अब तू भी बोलने लगा. बता क्याभूल गया
भारत - आप नही हम सब भूल गये की कुछ दिनों पहले देश मे धमाका हुआ था कितने घरो मे सन्नाटा फैल गया हैकितने जन अभी तक ज़िन्दगी के लिए लड़ रहें है इससे बड़ा क्या शोर्ट टर्म मेमोरी लोस का उधारण होगा डेड ज़िन्दगी किसी के लिए नही रूकती है, ना रुकेगी पर..... थोड़ी तो इंसानियत भी होनी चहिये?
भारत - कहिये हम सब शोर्ट टर्म मेमोरी लोस से पीड़ित है की नही?
भारत - डेड डोक्टर के पास चले.......

(यदि आप भी इस बीमारी से पीड़ित है तो जल्द ही अपने नजदीकी अस्पताल
मे दिखाइये)

Sunday 14 February 2010

सोचिये

बाबा - भविष्य
भविष्य - जी, बाबाजी

बाबा - आज स्कूल नही गये ?
भविष्य - बाबाजी आज रविवार है, छुट्टी है

बाबा - अरे हाँ, भूल ही गया
!
बाबा- बेटा, वर्तमान क्या कर रहा है

भविष्य - पापा (वर्तमान) सो रहें है

बाबा - अभी तक? चलो सोने दो, बेटा मेरा एक ख़त लिखदेगा ?
भविष्य - जी बाबाजी, कहिये किसे लिखना है?
बाबा - अपने
पी. चिदंबरम को
भविष्य - बाबाजी आप कहिये मै लिखता जाता हूँ

बाबा - हाँ लिखो - प्रिय
चिदंबरम नमस्कार
भविष्य - आदरणीय चिदंबरमजी लिखूं?
बाबा- क्यों?
भविष्य - गृह मंत्री हैं ,हमे सम्मान करना चाहिये
बाबा - नही बेटा , हमे सम्मान व्यक्ति का करना चाहिए ना की उसके पद का
भविष्य - जी बाबाजी
बाबा - भविष्य लिखो, आप ने
२२ हज़ार पुलिस कर्मियों की मदद से माय नेम ईज़ खान सफलता पूर्वकचलवादी इस के लिए बधाई हो ।लेकिन एक बात पूछनी थी की २२हज़ार पुलिस कर्मियों की मदद तब क्यों नही ली गयी जब सड़क पर हमारे लोगो को भगा भगा के मारा जा रहा था व इन २२ हज़ार योद्धओ को सिनेमा घर की सुरक्षा के लिये खड़ा कर दिया गया इतनी कर्मठतता यदि कश्मीर, मुंबई, जयपुर,अक्षरधाम,गुजरात, पुणे में दिखाई होती तो आज लाखो भारतीय जय हो का नारा बुलुंद करते हुए माय नेम ईज़ खान देख रहें होते। अब ये ना समझे की मेरा कोई प्रियजन प्राणहीन हो गया है या एक लाश का एक लाख मिले इसलिए ये ख़त लिख रहा हू ये सिर्फ इसलिए लिख रहा हूँ क्यों की मै थक गया हूँ धमाको की आवाजो से और बेशर्म बयानों से जैसे आज सुन ने को मिला की १४ महीने बाद धमाका हुआ है।क्या अब धमाको पर भी आप अपनी पीठ थप थापा येंगे ?

वर्त्तमान -
वेलेनटाइन डे पर क्यों शोर कर कर रहे हैं - अच्छा खासा सो रहा था, जगा दिया और ये क्या हैं उफ़ एकऔर लैटर , पापा कब समझेंगे की इन सब से कुछ नहीं हुआ हैं और ना होगा, होना होता तो कब का हो जाता

बाबा- वर्त्तमान इतने निराशावादी नही हो?
वर्त्तमान- नही मै क्यों होने लगा में खुश हूँ मेरे पास जॉब हैं लाइफ सेट हैं और इन धमाको के बारे में सोचने के लियेटाइम कहाँ हैं
अब फिर सोने जा रहा हूँ कोई शोर ना मचे घर में ,शाम को माय नेम ईज़ खान देखने जा रहा हूँभविष्य ये सब छोड़ो और अपना सोचो ना की देश का

वर्त्तमान दिशाहीन हो रहा है भविष्य भी हो उस से पहले सोचिये....

Saturday 13 February 2010

आखरी सांस आखरी आंसू

प्रत्यक्ष - माँ, माँ, माँ!
माँ - आराम से, आराम से

माँ - लाओ, बैग और बोतल

प्रत्यक्ष - नही माँ, मै बड़ा हो गया हूँ

माँ - अच्छा जी, सुबह से दोपहर में बड़े हो गये
?
प्रत्यक्ष - जी हाँ, अब से मै शरारत भी नहीं करूंगा

माँ - क्या हुआ, टीचर ने डांटा?
प्रत्यक्ष - नहीं

माँ - किसी ने कुछ कहा?
प्रत्यक्ष - नहीं, माँ

माँ - तो फिर मेरा बच्चा शरारत क्यों नहीं करेंगा ?
प्रत्यक्ष - मैं अब बड़ा और अच्छा बच्चा हो गया हूँ

माँ- कुछ तो बात है, बोलो?
प्रत्यक्ष - माँ, होली आ रही है

माँ- अब समझी, पिचकारी चाहियें?
प्रत्यक्ष - नहीं

माँ - फिर क्या हो सकता है?
प्रत्यक्ष - सोचिये, सोचिये?
माँ- गुब्बारे नहीं दिलाऊंगी, उससे चोट लगती हैं
गुब्बारे तो हरगिज़ नहीं
प्रत्यक्ष - नही माँ, गुब्बारे भी नही

माँ - फिर क्या हो सकता है ?
प्रत्यक्ष - सोचिये, सोचिये?
माँ - पता नही, तुम ही बोल दो

प्रत्यक्ष - माँ होली पर गुजिया खाये?
माँ - जल्दी चलो, बस ना छूट जाये

प्रत्यक्ष - माँ गुजिया!
माँ - मैंने कहा ना जल्दी चलो, आओ गोद में ले लेती हूँ

प्रत्यक्ष - नही छूटेगी बस, आप ने कुछ कहा नही

माँ- किस बारे मे

प्रत्यक्ष - गुजिया के बारे मे

माँ- गुजिया खायेंगे , पर अगले साल

प्रत्यक्ष - नही मुझे इस बार ही खानी है

माँ - बेटा ज़िद नही करते , अगले साल पक्का

प्रत्यक्ष - ओक्के

माँ - अच्छा गुब्बारे ले लेना

प्रत्यक्ष - नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिये

माँ- राजा बेटे गुस्सा नही करते

प्रत्यक्ष - भ्रष्टाचार रोज़ गुजिया लाता है, क्या हम होली पर भी नही खा सकते?
माँ - बेटा हमे दूसरे क्या खाते है और क्या पहनते है वो नहीं देखना चाहिए
पता है हमारे चुने हुए वो लोग कहते है
" चीनी न खाने से मौत नहीं आती और शक्कर से बने सामान से मधुमेह (बीमारी) बढती है
"
माँ - प्रत्यक्ष, मधुमेह से मर भी सकते है

प्रत्यक्ष - पर..........ओक्के !
प्रत्यक्ष - हम अब इतने गरीब हो गये है की गुजिया भी नही खा सके?

तभी जमाखोर (कार) आई और माँ को कुचल के चली गयी


प्रत्यक्ष - माँ, माँ, माँ - उठो मै मज़ाक कर रहा था, माँ उठो मै गुजिया नही खाऊँगा, ना ही कभी खाने को बोलूँगा


नमस्कार हम हैं भरत के नंबर समाचार चैनल जो ये सबसे पहले दिखा रहे है, आइये लाश के पास रोते हुए बच्चे से पूछे?
रिपोर्टर-ये औरत मर गयी, आपको कैसा लग रहा है?
प्रत्यक्ष - ये औरत मेरी माँ है

रिपोर्टर - एक और ब्रेअकिंग न्यूज़ - ये लाश इस मासूम की माँ की है, लोग कितने संवेदनहीन हो गये है की एक मासूम की माँ को सरे बाज़ार मार दिया गया

कैमरा मैंन - बेटा जरा कैमरे मे देख कर रो
- तुम्हारा चेहरा छुप रहा है। जोर से रो तुम्हारी माँ मर गयी है
प्रत्यक्ष - नही मेरी माँ मर नही सकती

रिपोर्टर - हाँ पर ये स्पेशल रिपोर्ट जब तक ख़तम होगी तब तक ज़रूर मर जायेंगी

प्रत्यक्ष - नही, मेरी माँ नही मर सकती

रिपोर्टर - क्यों ?
प्रत्यक्ष - माँ कह रही थी शक्कर खाने से मर सकते है पर उन्होंने खायी ही नही, फिर माँ कैसे प्राण त्याग सकती है ?
रिपोर्टर - ये बच्चा कुछ अजीब बात कर रहा है, इसे छोडिये और आप इस घटना का मज़ा लीजिये

रिपोर्टर - और आप लोग कही मत जाइए, हम इस औरत की आखरी सांस और इस लड़के के आखरी आसूं तक कैमरे के साथ बने रहेंगे
तब तक आप अपनी राय sms करें और जो सब से ज्यादा sms करेगा उसे होली की गुजिया का डब्बा मिलेंगा जी हां आप ने सही सुना - गुजिया का डब्बा जहाँ आज लोग ५० रुपैये की शक्कर चाय में नहीं ड़ाल पा रहे है उस समय हम आप को दे रहे है गुजिया का डब्बा तो ये मौका छोडिये नहीं - हम जल्द हाज़िर होते है हमारी ब्रेअकिंग न्यूज़ के साथ - आखरी सांस आखरी आंसू.......