फेसबुक के एक स्टेटस से प्रेरित - "मैं हाउस वाइफ हूं और घर में कुछ काम नहीं होता है।"
उठिये उठिये
परिभाषा : उठ रही हूं .... पानी नल में आये या ना आये, हरि किसन दूध मे पानी लेकर जरुर आ जायेगा।
आप गलत समझ रही हैं।
परिभाषा
: प्लीज तुम सो ही जाओ दूध ले लेती हूं और गरम कर लेती हूं तब तक पानी भी आ
जायेगा। बाहर निकलो (चीखते हुए) अभी के अभी। संजय उठो और पुलिस को बुलाओ,
इसकी हिम्मत कैसे हुई घर में घुसने की और ऊपर से कमरे में घुस आया, उठो
आओ।
शांत आपकी और मेरी बातें ना कोई सुन पाएगा और ना आपके अलावा मुझे कोई देख पायेगा मै मृत्यु हूं ।
परिभाषा
: क्या बकवास है। मैं कोई गांव की गंवार नहीं हूं कि इस बेतुकी बात को मान
लूंगी और तुम्हे भागने दूंगी, हरी किसन तुझ जैसों को कितना सम्मान दिया और
तूं ...
मृत्यु : आप भ्रमित हो रही हैं। वैसे शहर में लोग मरते नहीं क्या ? आप कभी
गांव गयी नहीं फिर कैसे पता वो गंवार होते हैं। तुझ जैसे से क्या अर्थ है
वो भीख नहीं मांगता काम करता है और रही बात सम्मान की तो वो उसका हक है।
परिभाषा : सम्मान तेरा हक़ है, हरी किसन ये हक तो मुझे अभी तक नहीं मिला (ये बोलते ही मुख पर मनमुग्ध मुस्कान आ गयी)
मृत्यु : आप की मुस्कराहट बड़ी मोहक है
परिभाषा : हां यह भी कहते हैं तभी शायद सम्मान देने का ख्याल नहीं आया।
मृत्यु : इस पर क्या कहूं?
परिभाषा : कुछ नही, हरी किसन ।
मृत्यु : क्षमा चाहूंगा मैंं हरी किसन नहीं हूं मैं आपकी मृत्यु हूं।
परिभाषा : अच्छा, ठीक है आप शरमा क्यों रहे हैं समय हो गया तो चलना ही
होगा। वैसे भी यहां कहां कुछ करती थी। बेटी पैदा हुयी थी, मां मर रही हूं।
हां, दादी नहीं बन पायी। यदि कुछ समय बाद चलें तो चलेगा?
मृत्यु : कुछ कितना ?
परिभाषा : बस थोड़ा सा काम कर लेती हूं,नहीं तो सब को बड़ी परेशानी होगी।
मृत्यु : ठीक है कर लीजिए।
परिभाषा
: बस जल्दी से पानी भर लेती हूं, आजकल पानी की समस्या चल रही है ये बात
मेरी मां भी कहती थी और अब मैं भी कहते-कहते जा रही हूं। बस 2 मिनट दूध गरम
किया और चाय बना के मामा - पापा को दी। बस फिर इन्हें जगाया, आप बैठिये
काम खत्म करके चलते हैं।
मृत्यु : मैं ठीक हूं आप अपना काम जल्दी से कर लीजिए।
परिभाषा :
थैंक्स, संजय उठो लेट हो रहा है, गुडू-गुडिय़ा उठो स्कूल नहीं जाना है।
इतने बड़े हो गए हो पर अभी तक समय की कीमत नहीं पहचानी। बबिता आंटी की
बेटियों को देखो .......
मृत्यु : एक सेकंड, एक सेकंड...
परिभाषा : हां क्या है बोलो, अरे थोड़ा रुक जाओ दिख नहीं रहा काम कर रही हूं, फिर तो खाली ही रहूंगी।
मृत्यु
: जी मैं कह रहा था, आप अपना काम कर लीजिए मैं अपनी मंथली रिपोर्ट बना
लेता हूं, नहीं तो आपके काम में विघ्न डालता रहूंगा और जब आप का हो जाये,
मुझे बता दीजियेगा।
परिभाषा : ठीक है जैसा आप कहो, अब काम करलूं बस 2 मिनट का काम है।
मृत्यु : जी .............. दुपहर .................... शाम ........................ रात .......... सुनिए 2 मिनट हो गये क्या?
परिभाषा : हां बस 2 मिनट रसोई साफ कर लूं करना ही क्या है।
मृत्यु : मुझे बॉस (यम) बता रहे थे धरती पे सब बहुत काम करते हैं। 12 से 14
घंटे। कई जने तो 16 घंटे भी काम करते हैं वे बड़े मेहनती हैं पर आप तो 20
घंटे हर दिन काम करती हैं बिना किसी छुट्टी के ....
परिभाषा : हां इस पर बाद में बात करेंगे। अभी काम खत्म कर लूं.......... हां हो गया। अब चल सकती हूं अरे कहां गए... कहां गए?
संजय : क्या हुआ, क्या बड़-बड़ा रही हो। यहीं तो हूं...
परिभाषा : नहीं, मुझे लेने मृत्यु आई है।
संजय
: हां .. हां .. दिन भर घर में खाली बैठी रहोगी और उटपटांग प्रोग्राम
देखोगी तो ऐसे ही सपने आयेंगे सो जाओ। मुझे कल ऑफिस जाना है दिन भर काम
करके आओ रात में सपने सुनो।
परिभाषा : हां घर में करती ही क्या हूं
Wednesday, 12 December 2012
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बहुत सुंदर लेख ... :)
ReplyDeleteरोचक प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeletevastav mein vishay vastu badi hi rochak hai..keep going :)
ReplyDeletewell done sir !
ReplyDeleteउम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteअच्छी है
ReplyDeletesahi hai...ek aurat ghar me kitna kaam karti hai par koi uski ahmiyat nahi samajhta
ReplyDeletevery well written blog ...awesome...thanks !
ReplyDeleteplz visit : http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/a-kettle-of-glitters.html
बहुत सुंदर चित्रण......! दिल को छू गयी...
ReplyDelete~सादर!!!