महेंद्र - क्या है पापा?
मुन्ना बात करनी है।
महेंद्र - आ रहा हूं। पापा कुछ तो दूसरों का ख्याल रखा कीजिए। अभी उठा हूं और आपने चिल्लाना शुरू कर दिया। मैं भी इंसान हूं।
मुन्ना! दूसरा .. ओह सॉरी!
महेंद्र - ओह! प्लीज, अब ये शुरू मत कीजिए- आप सॉरी कहें और मैं आपकी मिन्नतें करने लगूं, नहीं पापा-नहीं पापा। अब कहिए क्या कहना है।
कुछ नहीं मुन्ना।
महेंद्र - अब कहिए, नहीं तो कल कहेंगे कि मैं सुनता नहीं हूं।
मुन्ना नहीं कहूंगा। तुम तैयार हो जाओ। तुम्हे ऑफिस जाना है।
महेंद्र - हां मैं अभी तैयार होकर आया। आज संग नाश्ता करते हैं।
जरूर मुन्ना।
महेंद्र - पापा मेरा नाम महेंद्र है मुन्ना नहीं। प्लीज मुन्ना-मुन्ना कहना अब बंद कीजिए। सुनने में बड़ा ही खराब लगता है।
महेंद्र नहीं कहूंगा।
महेंद्र - थैंक्स पापा।
मेरा बेटा बड़ा हो गया।
उंगली पकड़कर चलने वाला।।
उंगली दिखाने लायक हो गया।
मुन्ना से महेंद्र हो गया।।
मेरा बेटा बड़ा हो गया।
जिज्ञासा - प्रगति बेटा उठो, कॉलेज जाना है। रानी उठो।
प्रगति- क्या मां एफ एम शुरू कर देती हो सुबह-सुबह। एक बार में सुन लिया उठ जाऊंगी।
महेंद्र - प्रगति क्या बदतमीजी है। मम्मी से कोई ऐसे बात करता है। हम आजतक अपने बड़ों से ऐसे बात नहीं करते।
प्रगति - अरे सुबह-सुबह लेक्चर नहीं, उठ गई ना अब शांत रहो।
प्रगति - मम्मी!!! डैडी को बुला लो ना।
महेंद्र - जा रहा हूं। जल्दी तैयार हो। नाश्ता संग करेंगे।
प्रगति - जाओगे तभी तो आऊंगी।
प्रगति- क्या मां एफ एम शुरू कर देती हो सुबह-सुबह। एक बार में सुन लिया उठ जाऊंगी।
महेंद्र - प्रगति क्या बदतमीजी है। मम्मी से कोई ऐसे बात करता है। हम आजतक अपने बड़ों से ऐसे बात नहीं करते।
प्रगति - अरे सुबह-सुबह लेक्चर नहीं, उठ गई ना अब शांत रहो।
प्रगति - मम्मी!!! डैडी को बुला लो ना।
महेंद्र - जा रहा हूं। जल्दी तैयार हो। नाश्ता संग करेंगे।
प्रगति - जाओगे तभी तो आऊंगी।
महेंद्र - अरे मैं तैयार होकर भी आ गया और कोई नाश्ता करने भी नहीं आया।
बेटा मैं तो कब का आ गया।
महेंद्र - ओह! सॉरी आपको देखा नहीं।
कोई बात नहीं आजकल मैं खुद को भी नहीं देख पा रहा हूं।
महेंद्र - पापा ये क्या पहना है।
धोती।
महेंद्र - वोह तो मुझे भी दिख रही है। पर ये क्यूं?
मुझे आराम मिलता है।
महेंद्र - नयी धोती भी तो पहन सकते हैं। पिछले सप्ताह ही लाया था।
मुझे आराम नहीं मिलता है उन धोतियों में।
महेंद्र - क्यों खादी तो है।
हां, पर आराम नहीं मिलता है।
महेंद्र - जो लाओ वही पसंद नहीं है।
बेटा क्या करूं, मुझे आराम नहीं मिलता है।
महेंद्र - वो तो अच्छी क्वालिटी की है।
होगी, पर मुझे सुकून नहीं मिलता है।
महेंद्र - ये सब बेकार की बात मत कीजिए।
जिज्ञासा - आपको कुछ नहीं, बस महेंद्र जो लाए उसकी बुराई करनी है और पूरी दुनिया में हमें बुरा साबित करना है।
बहू ये सिर्फ तुम्हारी सोच है।
जिज्ञासा- हां मेरी तो अब सोच भी गलत है। एम.बी.ए. हूं। बारवीं फेल नहीं हूं।
बहू मुझे गर्व है कि तुम एम.बी.ए. हो। पर मैं कभी घर की बात सड़क पर नहीं करता।
जिज्ञासा - करने की क्या जरूरत है। इन चिथड़ों में घूमेंगे तो सब तो यही समझेंगे, छोड़ो मुझे नहीं बोलना। वरना कहेंगे बहू बड़ी तेज है।
ऐसा नहीं है बहू।
महेंद्र - तो क्यों नहीं पहनते हैं खादी धोती?
मैं बार-बार नहीं कह सकता, मुझे आराम नहीं मिलता।
महेंदर- छोडि़ए मत पहनिए। रहिए फटेहाल।
महेंद्र - इन्हें आराम नहीं मिलता। चाईना ने स्पेशल खादी धोती इंडियन्स के लिए निकाली है। और इन्हें धोती नहीं पसंद। जबकि नाम भी स्वदेशी है।
मैं चाईना की जंग में लड़ा था और आज चाईना का कपड़ा पहनने को कह रहे हो।
महेंदर- आपकी यही बात अच्छी नहीं है। पुरानी बातें दिल में रख लेते हैं। लड़ाई हुई खत्म हुई।
देश प्रेम भी कोई चीज है कि नहीं।
प्रगति - ये देशप्रेम क्या होता है।
महेंद्र - लव फोर योर कंट्री।
प्रगति- ओह! दैट इज आऊट डेटेड डैड।
देशप्रेम आऊट डेटेड कभी नहीं होता।
प्रगति - होता नहीं हो चुका है। आप किस दुनिया में हैं दादा।
प्रगति- आज फौजी इंडिया गेट के नीचे खुले में सोते हैं।
१५ अगस्त से ज्यादा लोग वेलेंटाइन डे मनाते हैं।
देश पर हमला होता है तो वेबपेज पर ज्ञान देते हैं। पर वोट देने नहीं जाते हैं।
वाइट शक्कर को ब्लैक में खरीदते हैं।
प्रगति- चलिए चलती हूं। कॉलेज के नाम पर दोस्तो के घर जाना है। वैसे भी सुबह मेड इन चाइना देशभक्ति की अगरबत्ती मेड चाइना भगवान के आगे जला चुकी हूं।
दादा बाय सोचिएगा। देश और भक्ति अपनी ही है या वो भी चाइना से इंपोर्ट हो रही है। हा..हा..हा....
मैं सोच में पड़ गया और आप .......
VERY VERY VERY VERY GOOD
ReplyDeleteदेश पर हमला होता है तो वेबपेज पर ज्ञान देते हैं। पर वोट देने नहीं जाते हैं।
ReplyDeleteवाइट शक्कर को ब्लैक में खरीदते हैं।
मैं सोच में पड़ गया और आप ......
हम सोच रहे हैं सोच कर ही क्या होगा .....
behtareen...!! aur kya kahn... haqeeqat hai!!
ReplyDeletesaoch me to hum bhi pad gaye bahut khoob likha hai pata nahi kya hoga desh ka
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