भविष्य - जी, बाबाजी ।
बाबा - आज स्कूल नही गये ?
भविष्य - बाबाजी आज रविवार है, छुट्टी है।
बाबा - अरे हाँ, भूल ही गया!
बाबा- बेटा, वर्तमान क्या कर रहा है ।
भविष्य - पापा (वर्तमान) सो रहें है।
बाबा - अभी तक? चलो सोने दो, बेटा मेरा एक ख़त लिखदेगा ?
भविष्य - जी बाबाजी, कहिये किसे लिखना है?
बाबा - अपने पी. चिदंबरम को।
भविष्य - बाबाजी आप कहिये मै लिखता जाता हूँ।
बाबा - हाँ लिखो - प्रिय चिदंबरम नमस्कार।
भविष्य - आदरणीय चिदंबरमजी लिखूं?
बाबा- क्यों?
भविष्य - गृह मंत्री हैं ,हमे सम्मान करना चाहिये।
बाबा - नही बेटा , हमे सम्मान व्यक्ति का करना चाहिए ना की उसके पद का
भविष्य - जी बाबाजी।
बाबा - भविष्य लिखो, आप ने २२ हज़ार पुलिस कर्मियों की मदद से माय नेम ईज़ खान सफलता पूर्वकचलवादी इस के लिए बधाई हो ।लेकिन एक बात पूछनी थी की २२हज़ार पुलिस कर्मियों की मदद तब क्यों नही ली गयी जब सड़क पर हमारे लोगो को भगा भगा के मारा जा रहा था व इन २२ हज़ार योद्धओ को सिनेमा घर की सुरक्षा के लिये खड़ा कर दिया गया इतनी कर्मठतता यदि कश्मीर, मुंबई, जयपुर,अक्षरधाम,
वर्त्तमान - वेलेनटाइन डे पर क्यों शोर कर कर रहे हैं - अच्छा खासा सो रहा था, जगा दिया और ये क्या हैं उफ़ एकऔर लैटर , पापा कब समझेंगे की इन सब से कुछ नहीं हुआ हैं और ना होगा, होना होता तो कब का हो जाता ।
बाबा- वर्त्तमान इतने निराशावादी नही हो?
वर्त्तमान- नही मै क्यों होने लगा में खुश हूँ मेरे पास जॉब हैं लाइफ सेट हैं और इन धमाको के बारे में सोचने के लियेटाइम कहाँ हैं । अब फिर सोने जा रहा हूँ कोई शोर ना मचे घर में ,शाम को माय नेम ईज़ खान देखने जा रहा हूँ।भविष्य ये सब छोड़ो और अपना सोचो ना की देश का ।
वर्त्तमान दिशाहीन हो रहा है भविष्य भी हो उस से पहले सोचिये....
मारक आलेख...
ReplyDeleteadbhud
ReplyDeleteसमसामयिक हकीकत को
ReplyDeleteबड़े सलीके से हास्य व्यंग
का मसाला लगा कर परोसा है.
सुन्दर लेखन के लिए साधुवाद
Bahut hi badhiya wyang lekh hai...
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