Monday, 18 January 2010

डफर


पूज्नीय पापा/ मम्मी
मै ना अच्छी हू, ना मेहनती हू , मै सिर्फ मुर्ख पशु हू और ये मैंने भी आज मान लिया है
पापा सच कह रही हू मैंने अपने हिसाब से खूब मेहनत की पर क्या करू नंबर ही नही आते है
मुझे पता है मेरे कारण ११ साल से आपकी नाक कट रही है पर मै यकीन दिलाती हू की अब आप का अपमान नही होगाये छोड़ रही हू इसी आस से की शायद मरने के बाद मै आलसी जानवर से कम से कम कायर इन्सान ही कहलाऊंगी
पापा गुस्सा मत होईयेगा ये ख़त मैंने रात भर पढने के बाद ही लिखा है - सच्ची, मम्मी कसम. चाहें तो आप बुक्स देख लीजियेगा मैंने स्कूल, टयूशन, टेस्ट पेपर, आप का और मम्मी का सारा काम कर लिया है
मम्मी परसों के लिए - सॉरी - मेरे हिलने के कारण आप की चूड़ी टूट गयी और चुभने की वजहसे आप के हाथ से खून निकल गया, मै जानती हू की खून निकले तो बहुत दुखता है मम्मी जानवर को मारने से इन्सान नही बना सकते ऐसा होता तो मै इन्सान कितने साल पहले ही बन गई होती हाँ मारने पीटने से रटाया जा सकता है पर पढाया नही

मम्मी एक बात कहूं - गुस्सा तो नही होंगी - प्लीज़ इस लैटर पर स्टार दीजियेगा ना, मुझे कभी नही मिला - नही स्टार जितना अच्छा लैटर तो नही लिखा है पर एक स्मायली ही दे दीजियेगा

आप की
डफर

१८ दिन २९ आत्महत्या - ये २०१० की शुरुआत है ...............

1 comment:

  1. उफ्फ!! हमारा समाज और शिक्षा प्रणाली!!!

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