Friday 5 April 2013

जी सॉरी

माँ - क्या कर रही है
शीना -कुछ नहीं मम्मीजी
माँ - तो कभी कुछ कर भी लिया करो, की दिन भर आराम-आराम। हम इस उमर में भी तुम लोगों से ज्यादा काम करते हैं और तुझ से तो ज्यादा ही फिट हूं
शीना - जी मम्मीजी
माँ - जी-जी करना पर गलती से कुछ काम मत कर लेना।
शीना -जी नहीं मम्मीजी खाना बना रही हूं।
माँ- तो झूठ क्यों बोला कि कुछ नहीं कर रहीं हूं , मैं कौन सा रसोई में आ रही थी, जो करना है करो, मेरी बलासे
शीना -जी नहीं मम्मीजी ऐसा नहीं है।
माँ -ऐसा हो या न हो पर तुमने झूठ बोला, पता नहीं आज-कल की लड़कियों को  छुपाने की क्या आदत हो गयी है। हमे तो हिम्मत तक नहीं थी की झूठ बोलने का सोच भी ले और ये मुंह पर झूठ बोल रही है। अपने घर में यही देखा होगा की बड़ों की आंखों में धूल झोंको।
शीना -जी नहीं मम्मीजी ऐसा नहीं है, बस कुछ खास नहीं कर रही थी इसलिए कह दिया कुछ नहीं कर रहीं हूं।
माँ - ये बोलने की जरुरत नहीं है कि तुम खास नहीं कर रही थी । ठीक से पोहा तक तो बनाना आता नहीं, खाना बनायेगी। चलो माँ ने कुछ नहीं सिखाया पर एक साल से मुझसे क्या सीख लिया कुछ नहीं सच्चाई तो यही है तुम कुंद हो ....... अब सांप सूंघ गया क्या ?
शीना - जी नहीं मम्मीजी
माँ - तो बोलती  क्यों नहीं हो, क्या मैं पागल हूं जो हवा में बकती जा रही हूं और तुम्हारे कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है?
शीना -जी नहीं मम्मीजी
माँ -जी नहीं करती रहना पर कुछ करके मत देना ,काहिल कहीं की
शीना -सॉरी मम्मीजी
माँ- हे राम ,उठाले मुझे, बेशर्म सॉरी भी रसोई से बोल रही है ये नहीं यहां आके  माफ़ी मांगे।
शीना - जी नहीं ,आ रही हूं
माँ- कब मेरे मरने के बाद
शीना -जी नहीं आ गई
माँ - बड़ा अहसान किया, रसोई में क्या गिरा के आ गयी?
शीना -जल्दी में गलती से कटोरी गिर गयी।
माँ- हे राम, अपने घर से कुछ लायी नहीं और मेरे घर को नुकसान करने में लगी हुई है। हाथ में  काटे है किया - मनहूस
शीना -सॉरी
माँ- बस यह है गलती करती रहो, घर बर्बाद करती रहो और सॉरी बोलती रहो।
शीना -जी नहीं मम्मीजी
माँ- क्या नहीं, यही सिखाया है तेरे माँ-बाप ने, अब चुप क्यों है तुझ से ही बात कर रही हूं ........... बोल बोलती क्यों नहीं है।
शीना - सॉरी मम्मीजी, ऐसा नहीं है।
माँ -जवाब देती है बत्तमीज़, एक तो गलती करती है ऊपर से ज़बान चलाती है।
शीना - सॉरी मम्मीजी
माँ-यह है आजकल की बहु सॉरी का झुन-झुन बजाती रहेगी और करेंगी अपने मन का ही। पता है बुढ़िया क्या कर लेगी......... अब कौन मर गया जो रो रही हो। बात करना दूभर हो गया है। बोलों नहीं की  रोना शुरू। ये सीरियल नहीं है ,ये  नौटंकिया तुम्हारे घर में होती होंगी यहाँ ये सब नहीं चलेगा न हमने कभी  कि है ,न ही ये गवारपना झेंलूगी।
शीना -सॉरी मम्मीजी
माँ- रोना बंद करो वर्ना फिर बीमार हो जाओगी, पता नहीं क्या क्या बीमारी लेके आयी हो? प्रहलाद के कारन ले आयी तुझे वर्ना। तुझ जैसी बीमार को तो घर में भी घुसने नहीं देती।
शीना - जी मम्मीजी
माँ - ये जी का ढोंग कही और करना मैंने दुनिया देखी है, चल यह बता तुझमें कोई एक भी गुंण  है। बोल न, शक्ल न अक्ल आता-जाता तुझे कुछ नहीं बस आराम कर वालो और घर फुक्वालो, बोल गलत हूं क्या?
शीना -जी नहीं
माँ -कैसे गर्व से कह रही है नहीं, बत्तमीज़ चुप रहना सिख और सुन मुझे तेरे हा या न की जरुरत नहीं है समझी यह शहर का रौब किसी और को दिखाना, मैं टीचर रह चुकी हू।
शीना -सॉरी मम्मीजी
माँ- अभी कहा चुप रहना सीख,पर मजाल है जो चुप हो जाये, अरे बत्तमीज़ बड़ों से जबान लड़ाने से कोई मॉडर्न नहीं हो जाता समझी, यह जलने की बदबूं कहां से आ रही है?
शीना - जी रसोई
माँ - हे राम, यहाँ ख़ड़ी है। असल में काम में तो मन लगता नहीं है। अब जा गैस बंद कर की  घर फूक के ही तसल्ली मिलेगी। क्या बहू मिली है, किस्मत ही खराब है।

माँ - मोटर साईकिल की आवाज़ आ गई, लड़का थक के आ रहा है। आते ही कान  भरने मत लगना, सांस लेने देना।

प्रहलाद - राम-राम अम्मा
माँ -जीता रह, बैठ थक गया होगा
प्रहलाद- कुछ जल रहा है?
माँ - बहु कुछ बना रही होगी।
प्रहलाद- शीना सब ठीक?
शीना - जी हां, बस आयी
माँ - आने को कोई नहीं कह रहा है। प्रहलाद जानने  का इच्छुक है की आज क्या जला खिला रही हो।
शीना - यह रही गरमा-गर्म चाय और मैगी - मम्मीजी आप के लिए और इनके लिये।
माँ - तुम दोनों खाओ ,मैं नहीं खाती ये सांप बिच्छु।
प्रहलाद - शीना माँ  यह नहीं खाती है।
माँ - बताया तो था, ध्यान से उतर गया होगा या फिर ध्यान ही नहीं दिया होगा।
शीना - जी नहीं मम्मीजी वाह असल में पोहा बना रही थी पर वो कड़ाई में लग गया, तो जल्दी में ये बना लिया।
माँ - पोहा जैसी चीज़ कैसे जल गयी?
शीना - जी वो जब आपसे गपशप कर रही थी तब ध्यान से उतर गया।
माँ - वहीं तो कहती हूं घर पर ध्यान रखा करो और तुम गपशप नहीं कर रही थी तुम बत्तमिज़ी कर रही थी। अब ऐसे मत देखो जैसे में झूठ बोल रही हूं मुझे कोई डर नहीं है।
प्रहलाद - माँ आपको डरने की जरुरत भी नहीं है, शीना जो चाहो करो पर माँ से बत्तमिजी करना छोड़दो, यह तुम्हारे लिए और अपने रिश्ते के लिए सही होगा।
शीना - जी सॉरी मम्मीजी

घर और बाहर के लिए कानून बना है और बनते रहेंगे पर वास्तविकता में हम नारी को उसका हक देने के लिए मानसिक तौर पर तैयार है?

14 comments:

  1. कानून और योजनायें कुछ बदल पाते तो आज बहुत कुछ बदल चुका होता .... हकीकत की बानगी प्रस्तुत करती पोस्ट

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  2. अब नारी को जी मम्मी जी और सॉरी से ऊपर उठना होगा ....

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  3. आज कल की नारी जी और सॉरी से ऊपर ही उठ गयी है और मुझे नहीं लगता कि आज कल सास रूपी नारी का यह रूप प्रचलित है ।

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  4. Adityaji Nari ki isthiti aur vedna ko viykt karti vi ek aur nayab khani


    Sangitaji MIL ki nazar se nhi nari ki nigha se khani padhiye

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  5. हकीकत की सतह पे बैठ के लिखी कहानी ...
    बहुत समय लगने वाला है इस सत्ता उन्मुखी मानसिकता को बदलने में ...
    बहुत ही प्रभावी ...

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  6. kai gharon me aaj bhi ye roop dekhne ko mil jata hai....

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  7. upendranath ashk bhi isi shaili main likhte the, is sunder rachna ne unki yaad dila di

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  8. मार्मिक चित्रण!
    हालाँकि, अब तो ऐसी बुरी हालत नहीं है....! हाँ! काफ़ी सालों पहले कुछ ऐसी ही मम्मियाँ जी हुआ करतीं थीं...जिनके सीने में दिल की जगह पत्थर होता था, आँखों में बरसते शोले और ज़बान पर तलवार की तेज़ धार हुआ करती थी...!
    नारी ही नारी की दुश्मन हो जाए ... तो फिर कौन उसको उबारे... :(
    ~सादर!!!

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  9. bahut had tak sach hai par ab rup kuchh sirial vala ho gya hai .

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  10. सलाम है शीना की सहनशक्ति को...प्रभावी प्रस्तुति..

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  11. जीवन के सुख दुःख को व्यक्त करती
    यथार्थ की जमीन से जुडी
    विचारपूर्ण भावुक
    गहन अनुभूति
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों

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  12. hi

    this was really interesting..many times a woman id another woman's worst enemy and in ur wonderful little story, the mindless husband too takes his mother's side without knowing the entire matter. a refection of reality..good post!

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  13. bahut hi rochak aur kadwi saas ka roop dikhaya hai..isse mujhe vipreet sthiti jhelti saas bahu ka pariwar yaad aa gaya.

    shubhkamnayen

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