प्रयास - हैप्पीजी तो सिंह थे, वेलंटाइन कब से हो गए?
विनती - उफ्फ! गलती हो गई।
प्रयास - गलती नहीं, ये तो पाप है। मैं तो धर्म परिवर्तन के बिल्कुल खिलाफ हूं..
विनती - अरे बाबा! किसी ने धर्म नहीं बदला है।
प्रयास - तो फिर हैप्पीजी को सिंह से वेलंटाइन क्यों बना दिया? किसी के लिए ऐसी बात करना अच्छी बात नहीं है।
प्रगति - हे.. हे! पापा! यू आर वेरी स्वीट.. मम्मी सही में आपने हैप्पी अंकल को बदनाम कर दिया, अभी तक तो मुन्नी ही बदनाम थी।
प्रयास - ये मुन्नी कौन है, और बदनाम क्यों हुई?
प्रगति - बस, हो गई... पापा अब मैं काम पर जा रही हूं..
प्रयास - विनती ! बच्ची कॉलेज पढऩे जाती है या काम करने? हर समय यही कहती है कि काम करने जा रही हूं तो पढऩे कब जाती है?
विनती - शाम को आएगी तब पूछ लेना, अभी 1200 रुपए दो।
प्रयास - हां पूछूंगा, पर 1200 रुपए किस बात के?
विनती - बच्ची के लिए ड्रेस खरीदी थी, घर के खर्चे में से।
प्रयास - क्या? क्यों? नये साल पर तो ली थी!
विनती - उफ्फ! कितने सवाल करते हो? वो न्यू इयर की पार्टी के लिए ली थी और ये वेलंटाइन की पार्टी के लिए।
प्रयास - अरे हर महीने इतने महंगे-महंगे कपड़े खरीदे जाएंगे क्या?
विनती- हर महीने नहीं। वो दिसंबर था और ये फरवरी है।
प्रयास - हां, एक महीने ही तो हुआ है, दिसंबर वाला ही पहन लेती।
विनती - कोई बच्चा त्यौहार पर पुराने कपड़े नहीं पहनता है।
प्रयास - हम तो पहनते हैं, और आज कौन सा त्यौहार है?
विनती - कोई सा नहीं, 1200 रुपए के लिए मैं अपना दिमाग नहीं चटा सकती...
प्रयास - चटा लो, कम से कम महंगाई के बहाने ही सही, बात तो कर रहे हैं। वरना उठो, चाय ले लो, नहा लिए?, टिफिन ले लो, आराम से जाना। आ गए, पानी ले लो, खाना खा लो, कितना टीवी देखोगे, सो जाओ, सुबह ऑफिस जाना है। इन चंद लाइनों के अलावा तो हमारे जीवन में कोई बात ही नहीं रह गई है।
विनती - ओहो! अब जाओ ऑफिस मुझे काम है।
प्रयास - चलता हूं। और सुनो आज शाम को जल्दी आऊंगा। आते वक्त आधा किलो प्याज लाऊंगा। मिलकर प्याज पकौड़े बनाएंगे और खाएंगे।
विनती - इतना खर्च क्यों?
प्रयास - क्यों? आज हैप्पीजी का ही नही हमारा भी तो वेलंटाइन डे है।
:) आजकल तो प्याज़ से प्रेम कर पाना भी कठिन है.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteहैप्पी वेलंटाइन डे।
vartman pristhitiyon ko bade hi sunder tareeke se aur bade hi achhe mauke par aapne vyakt kiya hai...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई ...मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा आपने...बढ़िया है.
ReplyDelete______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
ha ha ha .बधाई.
ReplyDeletenice sarcasm !
ReplyDeletekhoob kaha janaab... hahaha :)
ReplyDeleteआदित्य जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|