मै किसान पुत्र आपको कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ।
बड़े लोग कहते हैं आप मराठा राजा थे, पर मेरे लिए तो आप है इसलिए ये पत्र आपको लिख रहा हूँ।
महाराज आशा नही पूर्ण विश्वास है की आप मेरी अर्ज सुनेंगे व उसे पूर्ण करेंगे।
महारज इस साल भी बारिश कम हुयी है, पिछले १ साल मे तक़रीबन २ लाख किसान कृषि प्रधान देश मे प्राण गवा चुके हैं।
महराज आप की मूर्ति विश्व भर मे स्थापित हो, ये मैं चाहता हूँ, पर इश्वर से प्रार्थना नहीं कर सकता क्योंकि मैं स्वार्थी हूँ मुझे सिर्फ रोटी दिखती है, ईश्वर से मांगने के लिए। मैं राष्ट्र सम्मान के बारे में नही सोच पता हूँ क्योंकि मेरी सोच बड़ी संकुचित है। मैं जानता हूँ की आप का स्मारक ५०० करोड में बनेगा तो विश्व गर्व करेगा कि किस प्रकार हमने मंदी के समय कितने महत्वपूर्ण कार्य को केवल सोचा ही नही बल्कि उसके लिए कदम भी उठाये वह भी बिना किसी लोभ के पर मैं सिर्फ अपने घर के लिए ३ रोटी ही सोच पता हूँ। ३०९ फीट मूर्ति की जगह सिर्फ अपनी जमीन का सोचता हूँ वो भी वह जमीन जो आंसू और क़र्ज़ में डूब चुकी है ।
इसलिए आप से नम्र निवेदन है कि आप मुझे प्राणदंड दे दीजिए, मैं पापी हूँ, मुझे क्षमा मत कीजियेगा ।
देशद्रोही
किसान