Wednesday 12 December 2012

दो मिनट बस...

 फेसबुक के एक स्टेटस से प्रेरित - "मैं हाउस वाइफ हूं और घर में कुछ काम नहीं होता है।"

उठिये  उठिये
परिभाषा : उठ रही हूं .... पानी नल में आये या ना आये, हरि किसन दूध मे पानी लेकर जरुर आ जायेगा।

आप गलत समझ रही हैं।

परिभाषा : प्लीज तुम सो ही जाओ दूध ले लेती हूं और गरम कर लेती हूं तब तक पानी भी आ जायेगा। बाहर निकलो (चीखते हुए) अभी के अभी। संजय उठो और पुलिस को बुलाओ, इसकी हिम्मत कैसे  हुई घर में घुसने की और ऊपर से कमरे में घुस आया, उठो आओ।

शांत आपकी और मेरी बातें ना कोई सुन पाएगा और ना आपके अलावा मुझे कोई देख पायेगा मै मृत्यु हूं ।
 
परिभाषा : क्या बकवास है। मैं कोई गांव की गंवार नहीं हूं कि इस बेतुकी बात को मान लूंगी और तुम्हे भागने दूंगी, हरी किसन तुझ जैसों को कितना सम्मान दिया और तूं ...
मृत्यु : आप भ्रमित हो रही हैं। वैसे  शहर में लोग मरते नहीं क्या ? आप कभी गांव गयी नहीं फिर कैसे पता वो गंवार होते हैं। तुझ जैसे से क्या अर्थ है वो भीख नहीं मांगता काम करता है और रही बात सम्मान की तो वो उसका हक है।
परिभाषा : सम्मान तेरा हक़ है, हरी किसन ये हक तो मुझे अभी तक नहीं मिला (ये बोलते ही मुख पर मनमुग्ध मुस्कान आ गयी)
मृत्यु : आप की मुस्कराहट बड़ी मोहक है
परिभाषा :  हां यह भी कहते हैं तभी शायद सम्मान देने का ख्याल नहीं आया।
मृत्यु : इस पर क्या कहूं?
परिभाषा : कुछ नही, हरी किसन ।
मृत्यु : क्षमा चाहूंगा मैंं हरी किसन नहीं हूं मैं आपकी मृत्यु हूं।
परिभाषा : अच्छा, ठीक है आप शरमा क्यों रहे हैं समय हो गया तो चलना ही होगा। वैसे भी यहां कहां कुछ करती थी। बेटी पैदा हुयी थी, मां मर रही हूं। हां, दादी नहीं बन पायी। यदि कुछ समय बाद चलें तो चलेगा?
मृत्यु : कुछ कितना ?
परिभाषा :  बस थोड़ा सा काम कर लेती हूं,नहीं तो सब को बड़ी परेशानी होगी।
मृत्यु : ठीक है कर लीजिए।
परिभाषा : बस  जल्दी से पानी भर लेती हूं, आजकल पानी की समस्या चल रही है ये बात मेरी मां भी कहती थी और अब मैं भी कहते-कहते जा रही हूं। बस 2 मिनट दूध गरम किया और चाय बना के मामा - पापा को दी। बस फिर इन्हें जगाया, आप बैठिये काम खत्म करके चलते हैं।
मृत्यु : मैं ठीक हूं आप अपना काम जल्दी से कर लीजिए।
परिभाषा :  थैंक्स, संजय उठो लेट हो रहा है, गुडू-गुडिय़ा उठो स्कूल नहीं जाना है। इतने बड़े हो गए हो पर अभी तक समय की कीमत नहीं पहचानी। बबिता आंटी की बेटियों को देखो .......
मृत्यु : एक सेकंड, एक सेकंड...
परिभाषा : हां क्या है बोलो, अरे थोड़ा रुक जाओ दिख नहीं रहा काम कर रही हूं, फिर तो खाली ही रहूंगी।
मृत्यु : जी मैं कह रहा था, आप अपना काम कर लीजिए मैं अपनी मंथली रिपोर्ट बना लेता हूं, नहीं तो आपके काम में  विघ्न डालता रहूंगा  और जब आप का हो जाये, मुझे बता दीजियेगा।
परिभाषा :  ठीक है जैसा आप कहो, अब काम करलूं  बस 2 मिनट का काम है।
मृत्यु : जी .............. दुपहर .................... शाम ........................ रात .......... सुनिए 2 मिनट हो गये क्या?
परिभाषा : हां बस 2 मिनट रसोई साफ कर लूं करना ही क्या है।
मृत्यु : मुझे बॉस (यम) बता रहे थे धरती पे सब बहुत काम करते हैं। 12 से 14 घंटे। कई जने तो 16 घंटे भी काम करते हैं वे बड़े मेहनती हैं पर आप तो 20 घंटे हर दिन काम करती हैं बिना किसी छुट्टी के ....
परिभाषा :  हां इस पर बाद में बात करेंगे। अभी काम खत्म कर लूं.......... हां हो गया। अब चल सकती हूं अरे कहां गए... कहां गए?
संजय : क्या हुआ, क्या बड़-बड़ा रही हो। यहीं तो हूं...
परिभाषा :  नहीं, मुझे लेने मृत्यु आई है।
संजय :  हां .. हां .. दिन भर घर में खाली बैठी रहोगी और उटपटांग प्रोग्राम देखोगी तो ऐसे ही सपने आयेंगे सो जाओ। मुझे कल ऑफिस जाना है दिन भर काम करके आओ रात में सपने सुनो।
परिभाषा :  हां घर में करती ही क्या हूं

Sunday 28 October 2012

ईमानदारी का एक दीया

शादी शादी बोल बोल के शादी करवा दी। ऐसा हो रहा था जैसे मै शादी नहीं करती तो कयामत आ जाती। यार कोई  मैं दुनिया की पहली लड़की तो  होती नही बस सात फेरे  लेलो और जि़न्दगी भर सर फोड़ते रहो।
शान्त  गुडिया
क्या शान्त  जि़न्दगी तो मेरी बरबाद हो गयी आप लोगों के चक्कर में, मै बता रही हूं अब मैं उस भिखारी को और नहीं झेल सकती। मुझे डाईवोर्स चाहिए एट एनी कॉस्ट।
हां गुडिया हम डाईवोर्स लेंगे।
हद कर रही हो समझा नही सकती तो घर तो मत तोड़ो बेटी का।
ओह पापा  प्लीज आप मेरे मामले मे  चुप ह़ी  रही ये वो घर नही जेल है।
गुडिया इनके मुह मत लग इन्होने आज तक कभी हम लोगो का भला सोचा है? वर्मा की बेटी होती तो अभी तक वकील भी करवा   लिया होता और वो आर्य की बेटी के लिए पुलिस स्टेशन तुम ही गए थे। दुनिया वालों के लिए महान बना और घर के लोगों की परवाह नहीं.... ऐसा आदमी मिला है।
क्या बकवास है, आर्यजी की बेटी की बात अलग थी उसकी सास ने उसे मारने की कोशिश की थी इसलिए उनके संग खड़ा हुआ था और यहाँ ये हवा में लड़ के आई है।
अच्छा मतलब मेरी गुडिय़ा जब तक उन जाहिलों से पिट न जाये, जब तक उसकी चालाक सास उसे जलाये नहीं तब तक आप हाथ पर हाथ रखे टीवी देखते रहेंगे। एक अच्छे   पति तो कभी बने नही, एक अच्छे बाप तो बन जाओ।
अरे तुम शहीद होना बंद करो अपनी लड़ाई बाद में सुलझा लेंगे।
तुम से बात कर कौन रहा है, मैंने जो नरक भोगा है वो मैं अपनी बेटी को नहीं भोगने दूंगी, मै इसे भी अपनी तरह संस्कारों की भेंट नहीं चढऩे दूंगी। अब नारी अबला नहीं रही है। गुडिय़ा मैं तुझे  डाईवोर्स दिलवाउंगी चाहे मुझे इस इन्सान के खिलाफ खड़ा होना पड़े।
थैंक्स, लव यू आपने  मेरे लिए कभी मना नहीं किया ।
माँ हूं कोई ज़ालिम सास नहीं।
पागलपन  छोड़ो वो सिल्क का सूट नही मांग रही। अपने पति से तलाक मांग रही है।
मांगे मेरी जूती से मुह पर मारूंगी, बहुत मांग लिया उस भिखारी से। कुछ भी मंगलो न न न के अलावा कोई लफ्•ा नहीं निकला कभी। हर समय अभी नहीं बाद में पता नहीं उसका बाद कब आता मेरे मरने के बाद।
तुम्हें नहीं पता उसकी कितनी सेलरी है जो बच्चों की तरह कुछ भी कभी भी डिमांड करती रहती हो, क्या वो कहीं गलत जगह खर्च करता है?
वो करे या नहीं करे पर इतना तो दे कि घर चला सकूं। हर छोटी सी छोटी चीज के लिए मन को मारती रहूं।
मन को मारो नहीं। मन को समझाओ और काल्पनिक दुनिया से बहार आओ।
आप बस बाहर वाले का पक्ष लीजिये मै चाहे मर जाऊं।
मुझसे फिल्मी बातें तो करना मत, किसी का पक्ष नहीं ले रहा हूं बस बात समझाने की कोशिश कर रहा हूं। महंगाई हर क्षण बढ़ रही है  घोटाले बीमारी से ज्यादा तेज़ी से फैल रहे हैं।  इस समय तुम्हारा फर्ज है उस के साथ खड़ी रहो न की उस के सामने।
सब ऐश से रह रहे हैं हमारे अलावा।
गुडिय़ा कौन ऐश से जी रहा है? लगभग 80 करोड़ तो 2 वक्त की रोटी जुटा नही पा रहे हैं। और सरकार द्वारा उन्हें मध्य वर्ग का साबित करने के लिए कभी 25 तो कभी  35 कमाने वाले को मध्यवर्ग का घोषित कर दिया जाता है। आम आदमी सुन कर चुप हो जाता है क्योंकि अब वो भी जानता है नेताओं की घोषणा और वास्तविक जीवन में अंतर है।
गुडिय़ा इनसे बहस मत कर ये आदमी तो बेतुके तर्क देता रहता है। अगर कमा नहीं सकता था तो शादी ही क्यों की?
रोज 16-16 घंटे तुम काम नही करती हो वो ही करता है ।
ऐसे काम का क्या फायदा जिससे घर भी न चल सके।
तो क्या डाका डाले ?
डाका नहीं डाले कम से कम  एनजीओ खोल के अपाहिजों की बैसाखी तो छीन  सकता है, बीमारो की दवईयों में तो कमीशन खा सकता है। युवराज के जीजा को देखो कितनी जल्दी बिना इन्वेस्टमेंट के करोड़पति बन गया।
हे राम!
कोन राम...?
पुरुषोत्तम राम जिनके वनवास से लोटने के बाद से दिवाली मनाई जाती है ...
टिंग टिंग टिंग
पड़ोसी आ गये लगता है, दरवाज़ा खोलने दो
नमस्कार अंकल
नमस्कार बेटा
हम दिए लाये हैं इससे अंधकार मिटेगा और सतयुग का प्रकाश विद्यमान होगा....आप लेंगे ?
जरूर लूंगा 38 दे दो  हमारे घर और देश को इसकी अत्यंत आवश्यकता है
ये लो गुडिय़ा दिया घर में स्थापित करना, केवल लक्ष्मीजी को ही मत बुलाना सरस्वतीजी और विनायकजी को भी बुलाना, क्योंकि घर तब तक घर रहता है जब तक उस के सदस्यों को पैसे खर्च करने की विद्या हो और उसे सम्भालने का विवेक।
इसलिए मेरी गुडिया टीवी सीरियल और दिखावे की चकाचौंध के भ्रम में फंस कर अपने घर में अँधियारा मत करो। ईमानदारी के एक दिये से घर और संसार में प्रकाश फैलता है ।

Wednesday 1 August 2012

देश मेरा फिर दहल गया

देश मेरा फिर दहल गया ।
किसी के लिए चार धमाके हुए ।।
किसी के लिए ब्रेकिंग न्यूज़ बनी ।
किसी के लिए रियलटी  शो  शुरू  होगया ।।
किसी के लिए फेसबुक का स्टेटस हुआ ।
किसी के लिए ट्विट हुआ ।
किसी के लिए व्यपार होगया ।।
किसी के लिए राजनिति का मंच  हो गया ।

सब चल रहें है।
क्योकि  जीवन चलने का नाम है ।।
पर ना जाने क्यों ?
मुर्ख रसोई ये ना समझ पाई,
अभी भी किसी के इंतजार मे ना चलती है ना जलती है !!

Wednesday 27 June 2012

नई शुरुआत

प्यारे पापा,
सॉरी जो मैंने जन्म लिया और आप की तकलीफों का कारण बनी ये आखरी मेल  लिख रही हू आज के बाद ना मैं कष्ट में होउंगी ना आप को आसुओं से सराबोर मेसेज करुंगी।
पापा मैं बहुत थक गयी हूं व टूट गयी हूं। अब मुझ मे जरा सी भी हिम्मत नहीं बची है कि समझ और परिवार के बारे मे कुछ सोच सकूं। सच्ची पापा अब थक गयी।
पापा जो करने जा रही हू पता नहीं सही है या गलत पर अब करके ही रहूंगी। शादी के बाद पहली बार कोई निर्णय लेने की हिम्मत हुई है अब नहीं सोचुंगी बस करके रहूंगी।
9 साल से खौफ के साये में मरे जारही हूं सुबह आंख खुलती है तो सिहर जाती हूं की आंख क्यों खुल गयी। अब फिर घर के काम का डर, नाश्ते से रात्रि भोज तक मे कुछ गलत ना हो जाये नहीं तो बेल्ट फिर काली से लाल हो जाएगी। पापा भूखे पेट खाली रात खा के सोना आसान नही होता। जि़न्दगी कचोटने लगती है। ऐसा लगता है दिन जल-जल के रात हो गई है और फिर लगता है दिन नही जि़न्दगी रात हो गयी है। अब शारीर और आत्मा साथ नही दे रहा है इसलिए पति को परमेश्वेर से मिला रही हू जैसे मे भी ख़ुशी से कह सकूं मेरे पति परमेश्वेर  हो गये।
पापा आज पति का जीवन मुक्त कर के आराम से भय मुक्त सोउगी  और कल से नया जीवन शुरू करुंगी इसलिए अगर आप ये मेल सुबह-सुबह पड़े तो प्लीज जगाइएगा नहीं जब उठुगी तो अपने आप पुलिस को बुला लूंगी।

आप की सदा
करुणा