Sunday 15 August 2010

संकल्प

स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर झंडा-रोहन समारोह के बाद सलोनी और गली के सब बच्चे घूमने समुंदर के तट पर गये सुनहरी बालू, धूप में चमक रही थी, बच्चे खुले आकाश में पंछी की तरह इधर-उधर दौड़ रहे थे, सब खुश थे। सलोनी ने वैसे ही देखा की एक बोतल बालू में धंसी हुई हैउसने अपने सारे दोस्तों से कहा देखो वह बोतल कैसी है? एक ल़ड़के ने कहा 8-9 शताब्दी पुरानी लग रही है। सलोनी ने कहा चलो उस बोतल को देखें सलोनी और सब बच्चे उत्सुकता से भागे, सलोनी ने बोतल उठाई और सब बच्चे उसके पीछे दौड़े जैसे ही एक बच्चे ने कहा इस में बम हो सकता है वैसे ही सलोनी ने बोतल बालू पर फेंक दी। सब बच्चे पीछे हट गए और आश्चर्य भरी आंखों से देखने लगे, कुछ समय पश्चात् सलोनी ने कहा बोतल खोलकर देखते हैं क्या मालूम इसके अंदर क्या हो?

सलोनी और सारे बच्चों ने अपने-अपने इश्वर को याद किया और उस बोतल को खोला। एक दम से काला धुआं चारों ओर फैल गया सब बच्चे चारों ओर भागे किसी ने कहा मां बचाओ तो किसी ने कहा अम्मी बचाओ और किसी ने कहा बेबे मैंनू बचा। बच्चे चिल्लाते हुए भाग रहे थे की एकदम से काला धुआं एक छोटे से बच्चे में बदल गया। सलोनी ने कहा अरे यहां सब आओ ये तो जिन्न है ये बच्चों का दोस्त है। सब धीरे-धीरे सहमे से आए - सब में हल्का सा डर था लेकिन कुछ समय पश्चात् सब उसके पास आ गये,किसी को अब उससे डर नहीं लग रहा था।

सलोनी ने उस बोतल से निकले बच्चे से पूछा "तुम्हारा नाम क्या है ?

"मैं सत्य हूं।

सलोनी ने फिर पूछा,तुम कहां से आए हो?

वह बच्चा रो दिया, सलोनी ने कहा, " तुम रोओ मत, नहीं बताना चाहते हो तो मत बताओ लेकिन रोओ मत।

मैं रो इसिलए रहा हूं कि मेरे देश वाले मुझसे पूछ रहें हैं कि मैं कौन हूं अरे मैं भारत का हूं यह देश मेरा है यहां के लोग केवल सत्य बोलते थे। विश्व में सिर्फ एक यही देश था जिस देश में सब शांति और भाईचारे से रहते थे। क्योंकि मैं यहां पर रहता था। सत्य। लेकिन व्यक्तियों के स्वार्थ ने मुझे इस बोतल में बंद कर दिया था उसके बाद हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख आदि धर्मों का जन्म हुआ, उससे पहले यहां मनुष्य ही रहता था। इन सबके जन्म के बाद से ही शोषण, दंगे, खून खराबा शुरू हो गया। अब मैं आजाद हूं। मैं सत्य हूं। मैं हर बच्चे, जवान, ब़ूढे में मिल जाऊंगा और फिर से भारत को महान बनाऊंगा।

फिर सत्य -सत्य को फैलाने के लिए चल दिया। सलोनी और सब बच्चे शांत खड़े रहे। कुछ समय उपरांत सलोनी ने कहा अरे हम सब तो एक हैं और रहेंगे। दूर से सत्य ने देखा और सोचा मेरा अस्तित्व खत्म नहीं हुआ है मैं आज भी अपने देश में सत्य फैला सकता हूं। सिर्फ संकल्प की आवश्यकता है। सलोनी औरसारे बच्चे सत्य के साथ हैं और हम .............

चित्र www.google.com से लिया गया है।

4 comments:

  1. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    सादर

    समीर लाल

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  2. बहुत ही गूढ़ रहस्य है "सत्य" मानव ना जाने कितनी सदियों से तलाशता आया है, लेकिन वर्तमान के दौर में लगता है क़ि जो "मैं सोचता हूँ वही सत्य है" परिवर्तन इस "मैं" का केवल "हम" हो जाये तो यह अंतर्द्वंद मिट जाये !

    बहुत अच्छा लगा आपका यह ब्लॉग "आदित्य जी"

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  3. बहुत सुन्दर तरीके से सत्य को प्रस्तुत किया है आपने बधाई. "कभी इधर भी आयें" http://smhabib1408.blogspot.com/

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