टी20 एशिया कप 2025 का फाइनल केवल एक खेल नहीं था। यह मुकाबला हार-जीत से कहीं ऊपर, भारत के सम्मान, आत्मसम्मान और संस्कारों का था। मैं खुद इन मैचों का बहिष्कार करने का निर्णय कर चुका था और आज भी उस विचार पर कायम हूँ। लेकिन भारतीय टीम ने प्रेजेंटेशन में जो प्रदर्शन किया, उसने मेरे जैसी सोच रखने वाले हर भारतीय का मन मोह लिया और गौरव से भर दिया।
सूर्यकुमार यादव, शुभमन गिल, अभिषेक शर्मा, हार्दिक पांड्या और पूरी टीम ने बिना ट्रॉफी के ट्रॉफी का जश्न मनाकर पाकिस्तान की नफरत और आतंकवाद पर टिकी मानसिकता के सामने खुला तमाचा दिया। मोहसिन नकवी के हाथों से ट्रॉफी न लेने का निर्णय केवल खेल का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और विचारधारा का प्रतिपादन था। यह कदम स्पष्ट करता है कि भारत अब केवल मैदान पर ही नहीं, बल्कि हर मंच पर पाकिस्तान की नापाक हरकतों और प्रोपेगेंडा को बेनकाब करेगा।
भारतीय खिलाड़ियों की हर चाल, हर रणनीति और हर प्रदर्शन ने यह स्पष्ट किया कि भारत खेल के नाम पर राजनीति करने वाले पाकिस्तान को कभी नजरअंदाज नहीं करेगा। बुमराह की गति, तिलक वर्मा का आक्रामक अंदाज, हार्दिक पांड्या का आत्मविश्वास—ये सभी भारत की ताकत और रणनीति का जीवंत प्रमाण थे। मैदान पर यह प्रदर्शन न केवल पाकिस्तान को चुनौती देने वाला था, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक, राजनीतिक और राष्ट्रीय चेतना की जीत भी थी।
बीसीसीआई द्वारा घोषित 21 करोड़ का पुरस्कार ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान को हराने की रणनीति का प्रतीक है। हर चौका, हर रन और हर फोटो ने पाकिस्तान की अहंकारी मानसिकता और खेल को गंदी राजनीति का हिस्सा बनाने की कोशिश को नकारा। आज यह स्पष्ट हो गया कि भारत केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि हर मंच पर अपनी विचारधारा, गौरव और आत्मसम्मान की रक्षा करने के लिए सशक्त है।
यह मैच केवल क्रिकेट का नहीं था। यह देश की आन, मान और शान का युद्ध था। पाकिस्तान ने वर्षों से खेल को अपनी नापाक राजनीति का हथियार बनाया। लेकिन इस बार भारतीय टीम ने मैदान पर, सोशल मीडिया पर और हर फोटो में स्पष्ट संदेश दिया—ना सिर्फ खेल, बल्कि विचारधारा, संस्कार और राष्ट्रीय आत्मसम्मान की जीत हुई है।
यह वह पल है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा और याद दिलाएगा कि भारत किसी भी दुश्मन को हर मोर्चे पर चुनौती देने और उसका जवाब देने में सक्षम है।
भारत माता की जय। जय हिंद।
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