आदरणीय परम पूज्यनीय देवो के देव महादेव को मै नेत्रहीन शंकर शत्त शत्त प्रणाम करता हूँ। काफी समय से आप को पत्र लिखने का सोच रहा था पर हिम्मत ही नही हुई । डर लगता था की जन्म लेने की गलती पर तो आप ने नेत्र खुलने से पहले ही बंद कर दिये कही कुछ और गलती कर दी तो ना जाने क्या दंड देंगे । पर अब डर नही लगता क्यों की अब समझ गया हूँ की नेत्रहीन से बड़ी सज़ा शायद नही हो सकती। आप ये कदापि ना समझे की यह पत्र आप की इस कृति की आलोचना करने के लिए लिख रहा हूँ क्यों की ना मुझ में क्षमता है ना इच्छा है।बस छोटा सा अनुरोध है की देश मै करोड़ो बच्चो के पास रोटी तक नही है सम्पूर्ण आहार ,स्वस्थय व शिक्षा की कल्पना तो करते ही नही है। इसलिए कृपा निधान कुछ कीजिये एक रोटी का अधिकार तो दीजिये या आप भी हमे आधा अधुरा (कईयों को अंग नही और अधिकतरो की किस्मत नही) बना के भूल गये जैसे चुने हुए लोग हमें भूल गये और व्यस्त हो गये करोड़ो कमाने में कोई खेल के नाम पर कमा रहा है ,कोई शहीदों की विधवाओ की ज़मीं पर इमारते बना के और कोई करोडो की बईमानी कर के राजा बन रहा है और जनता गुलाम जो गरीब से गरीब होती जा रही है। फिर कैसे हर दिन देश विकास दर पार कर रहा है जहाँ लाखो में किसान मर रहें है लाखो मै बेरोजगार घुट रहें है करोड़ो भूखे इन्सान सो रहें है, उस देश मै सेव टाइगर का नारा बुलंद हो रहा है।
आशा करता हूँ यह पत्र पढने के पश्चात आप हमें अंधकार से, जीवन को सम्मान व दिशा देंगे,देंगे ना?अपने शब्दों को यही विराम देता हू कही आप को भी रोटी ओउटडेटेड ना लगने लगे और ओबामा की समस्या को बड़ा ना समझने लगे।
वन्दे मातरम, आपके ब्लॉग में कुछ दिनों के अन्तराल के बाद आ पाया हूँ, लेख हमेशा की तरह सार्थक एवं प्रभावी है जिसे पढ़कर मै अभिभूत हो गया... पर जब मै टिपण्णी करने का प्रयास करता हूँ तो शब्द नहीं मिलते वे साथ छोड़ देते हैं और कहते हैं हममे इतनी सामर्थ्य नहीं की इसपर कुछ कह सकें... बस इसीलिए मै आपको बधाई ही प्रेषित कर रहा हूँ कृपया स्वीकार करें |
आपके हर लेख में सब टीवी के कार्यक्रमों जैसा कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है... आपके लेख हमेशा नई दिशा प्रदान करने वाले होते हैं.... नए आलेख के लिए बधाई....
pahli baar padha maine aapki rachna ko par dil se kahti hun kayal ho gayi aapki rachna ki dil ko chu gaya ye patr kash bholeynath key dil par bhi dastak de aapka yah patr
वन्दे मातरम,
ReplyDeleteआपके ब्लॉग में कुछ दिनों के अन्तराल के बाद आ पाया हूँ, लेख हमेशा की तरह सार्थक एवं प्रभावी है जिसे पढ़कर मै अभिभूत हो गया...
पर जब मै टिपण्णी करने का प्रयास करता हूँ तो शब्द नहीं मिलते वे साथ छोड़ देते हैं और कहते हैं हममे इतनी सामर्थ्य नहीं की इसपर कुछ कह सकें... बस इसीलिए मै आपको बधाई ही प्रेषित कर रहा हूँ कृपया स्वीकार करें |
आपके हर लेख में सब टीवी के कार्यक्रमों जैसा कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है... आपके लेख हमेशा नई दिशा प्रदान करने वाले होते हैं.... नए आलेख के लिए बधाई....
ReplyDeleteshandar
ReplyDeleteaapkaa niwedan ham sab ka niwedan hai... bholenath sweekar karen... ameen.
ReplyDeletepahli baar padha maine aapki rachna ko par dil se kahti hun kayal ho gayi aapki rachna ki dil ko chu gaya ye patr kash bholeynath key dil par bhi dastak de aapka yah patr
ReplyDeletenav sandesh deti............pyari baat, jo badi pyare dhang se aapne patra ke rup me ukeri hai...dhanyabad....
ReplyDelete... bahut sundar !!!
ReplyDeletebahut aakrshak rachna.
ReplyDeletelambe samay baad aapka blog visit kiya... ek aur sudrid rachna .. hamesha ki tarah... badhaai.
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