निधि - उफ़ एक तो बजट जलाने
वाला आ गया ऊपर से इस बार गर्मी भी जल्दी आ गयी। बिना ए.सी. के मरो!
विशाल - इन्डियन एलिज़ाबेथ ऊपर देखो ए.सी. लगा हुआ भी है और चल भी रहा है।
निधि -बस तुम चुप ही करो आधे कमरों में तो ए.सी. नहीं है।
विशाल - हाय क्या गरीबी है , बेचारी मेरी बीवी।
निधि - सच ही है, कि काश थोड़े और गरीब ही होते, सरकर भी तो सारी सुविधा ज्यादा गरीबों को ही देती है। हमें तो बस टैक्स भरने के लिए और अपने अरमाननों का गला घोटने के लिए रखा हुआ है।
विशाल - टैक्स अपने घर से नहीं देती हो, जो कमाते हैं उसमें से छोटा सा हिस्सा ही देते हैं।
निधि - हां पता है। पर सब नहीं देते है, सिर्फ कुछ डरपोक और मूर्ख लॊग तुम जैसे।
विशाल -डरपोक और मूर्ख नहीं, इसे शराफत कहते हैं।
निधि -शराफत की होलसेल एजेंसी इसी इन्सान के पास ही हैं। मारो भूख हम सबको, जैसे अभी तक मारते आए हो।
विशाल - शांत क्यों मुहल्ला सर पर उठा रही हो, बेवजह ..
निधि -बात की नहीं कि चिल्लाकर चुप करा दो ।
विशाल - दिख रहा है, कौन चिल्ला रहा है, कौन चुप हो रहा है।
निधि -क्या दिख रहा है, बोलो-बोलो क्या दिख रहा है।
विशाल -कुछ नही।
निधि -कुछ नही कैसे बोलो इसे चुप रहके मुझे झूठा साबित नहीं कर सकते
विशाल -अर यु ओके ?
निधि -अर यु ओके का किया मतलब है। बोलो पागल हूं मैं ?
विशाल -हे भगवन .......... बचाओ
विशाल -जय हिन्द
विशाल - इन्डियन एलिज़ाबेथ ऊपर देखो ए.सी. लगा हुआ भी है और चल भी रहा है।
निधि -बस तुम चुप ही करो आधे कमरों में तो ए.सी. नहीं है।
विशाल - हाय क्या गरीबी है , बेचारी मेरी बीवी।
निधि - सच ही है, कि काश थोड़े और गरीब ही होते, सरकर भी तो सारी सुविधा ज्यादा गरीबों को ही देती है। हमें तो बस टैक्स भरने के लिए और अपने अरमाननों का गला घोटने के लिए रखा हुआ है।
विशाल - टैक्स अपने घर से नहीं देती हो, जो कमाते हैं उसमें से छोटा सा हिस्सा ही देते हैं।
निधि - हां पता है। पर सब नहीं देते है, सिर्फ कुछ डरपोक और मूर्ख लॊग तुम जैसे।
विशाल -डरपोक और मूर्ख नहीं, इसे शराफत कहते हैं।
निधि -शराफत की होलसेल एजेंसी इसी इन्सान के पास ही हैं। मारो भूख हम सबको, जैसे अभी तक मारते आए हो।
विशाल - शांत क्यों मुहल्ला सर पर उठा रही हो, बेवजह ..
निधि -बात की नहीं कि चिल्लाकर चुप करा दो ।
विशाल - दिख रहा है, कौन चिल्ला रहा है, कौन चुप हो रहा है।
निधि -क्या दिख रहा है, बोलो-बोलो क्या दिख रहा है।
विशाल -कुछ नही।
निधि -कुछ नही कैसे बोलो इसे चुप रहके मुझे झूठा साबित नहीं कर सकते
विशाल -अर यु ओके ?
निधि -अर यु ओके का किया मतलब है। बोलो पागल हूं मैं ?
विशाल -हे भगवन .......... बचाओ
निधि -कोई तुम्हे बचाने नहीं आयेगा, चाय पीते हैं और
लडाई जारी रखते है। प्रतिभा चाय बनाना, साहब और मेरे लिए
प्रतिभा - जी
विशाल -उसे भी देदो
निधि -किसे क्या दे दूं?
विशाल -प्रतिभा को भी चाय दे दो
निधि -मेरे अलावा दुनिया की फिकर है, वैसे हम नहीं वह हमें पिला रही है।
प्रतिभा - आंटीजी चाय
निधि - अच्छी है, सब्जी कट गयी ?
प्रतिभा - जी
निधि -ठीक है चावल बीन दे।
प्रतिभा - जी
निधि -अच्छा सुन इधर आ
प्रतिभा -जी
निधि -इस बार का बजट तो बड़ा अच्छा आया है तुम लोगों के लिए।
प्रतिभा - जी
निधि - चलो अच्छा है, सरकार ने तुम लोगों की फिकर तो की
प्रतिभा -जी
निधि -तुझे पता है तू अब विदेश से १ लाख का सोना बिना टैक्स के ला सकती है।
प्रतिभा - जी
निधि - मैं बड़ी खुश हूं अब धीरे धीरे सोना लेती रह बेटी की शादी में काम आयेगा।
प्रतिभा -जी
निधि -तेरी बेटी गूंगी है ना?
प्रतिभा - जी
निधि - क्या नाम है उसका ?
प्रतिभा - जनता
निधि - हा जनता, उसके लिए दहेज़ जमा कर ले, बड़ा अच्छा मौका है।
प्रतिभा - जी
विशाल - प्रतिभा दहेज़ का दिमाग में भी मत लाना उसे पढ़ाओ स्वावलम्बी बनाओ
प्रतिभा - जी
निधि- इन्हें समाज का कुछ अता-पता नहीं तू मेरी सुन।
प्रतिभा - जी
निधि - बहुत बातें हो गयी, जा चावल बीन। बस बातें करा लो
प्रतिभा - जी
निधि - सुन इधर आ
प्रतिभा - जी
निधि - तूने अभी तक मकान भी नही लिया ना?
प्रतिभा - जी
निधि - तुम लोग भी बचाना नहीं जानते हो
प्रतिभा - जी
निधि - अब सरकार ने तुम लोगों के लिए सुविधा कर दी है २५ लाख तक पर फायदा है। हम तो वो भी नहीं ले सकते। क्योंकि ये फायदा केवल पहले मकान पर ही है।
प्रतिभा - जी
निधि- चाय ठंडी हो गई फिर बना
प्रतिभा - जी
विशाल- निधि! प्रतिभा कितने घरों में काम करती है ?
निधि - २
विशाल - उधर भी ३ हजार मिलते है
निधि - हां
विशाल - तुम उसे ६ हज़ार कमाने वाली को बचत का ज्ञान दे रही हो , थोडा तो संवेदनशील बनो।
निधि - तुम नहीं जानते ये लोगों के पास बहुत होता है और टैक्स भी नहीं देते हैं...
विशाल - साल का ये ७२ हजार कमा रही है, टेक्स बनता भी नही है।
प्रतिभा - चाय
निधि - देख साहब क्या बात कर रहे है, तू खुश है ना ? तू मकान खरीदना चाहती है ना?
प्रतिभा - जी
निधि - सुनिए जी कह रही है। अरे दिमाग से उतर गया अभी स्कूल खुलेगा तो भविष्य के लिए विदेशी जूते लेना, वो भी सस्ते हो गए है।
प्रतिभा - जी
निधि- प्रतिभा तू मेरे लिए बेटी जैसी है, किसी भी चीज़ की जरुरत हो , बोल देना।
प्रतिभा - एक एहसान चाहिए था
निधि - बोल
प्रतिभा - जी भविष्य को एक इंजेक्शन लगवाना था थोडा कमजोर है इसलिए ५०० रूपये उधार चाहिए थे।
निधि - अरे पगली कमज़ोर है तो नीबू पानी पिला डॉक्टर तो लूटते है।
प्रतिभा - जी, असल में भविष्य कुपोषण का शिकार है इसलिए
निधि -जाओ चावल बीनो , बस दिन भर बातें करवा लो।
प्रतिभा - जी
विशाल - (जनता) बेटी गूंगी, बेटा (भविष्य) कुपोषण का शिकार उस पर निधि (सरकार)
निधि - क्या बड़बड़ा रहे हो प्रतिभा - जी
विशाल -उसे भी देदो
निधि -किसे क्या दे दूं?
विशाल -प्रतिभा को भी चाय दे दो
निधि -मेरे अलावा दुनिया की फिकर है, वैसे हम नहीं वह हमें पिला रही है।
प्रतिभा - आंटीजी चाय
निधि - अच्छी है, सब्जी कट गयी ?
प्रतिभा - जी
निधि -ठीक है चावल बीन दे।
प्रतिभा - जी
निधि -अच्छा सुन इधर आ
प्रतिभा -जी
निधि -इस बार का बजट तो बड़ा अच्छा आया है तुम लोगों के लिए।
प्रतिभा - जी
निधि - चलो अच्छा है, सरकार ने तुम लोगों की फिकर तो की
प्रतिभा -जी
निधि -तुझे पता है तू अब विदेश से १ लाख का सोना बिना टैक्स के ला सकती है।
प्रतिभा - जी
निधि - मैं बड़ी खुश हूं अब धीरे धीरे सोना लेती रह बेटी की शादी में काम आयेगा।
प्रतिभा -जी
निधि -तेरी बेटी गूंगी है ना?
प्रतिभा - जी
निधि - क्या नाम है उसका ?
प्रतिभा - जनता
निधि - हा जनता, उसके लिए दहेज़ जमा कर ले, बड़ा अच्छा मौका है।
प्रतिभा - जी
विशाल - प्रतिभा दहेज़ का दिमाग में भी मत लाना उसे पढ़ाओ स्वावलम्बी बनाओ
प्रतिभा - जी
निधि- इन्हें समाज का कुछ अता-पता नहीं तू मेरी सुन।
प्रतिभा - जी
निधि - बहुत बातें हो गयी, जा चावल बीन। बस बातें करा लो
प्रतिभा - जी
निधि - सुन इधर आ
प्रतिभा - जी
निधि - तूने अभी तक मकान भी नही लिया ना?
प्रतिभा - जी
निधि - तुम लोग भी बचाना नहीं जानते हो
प्रतिभा - जी
निधि - अब सरकार ने तुम लोगों के लिए सुविधा कर दी है २५ लाख तक पर फायदा है। हम तो वो भी नहीं ले सकते। क्योंकि ये फायदा केवल पहले मकान पर ही है।
प्रतिभा - जी
निधि- चाय ठंडी हो गई फिर बना
प्रतिभा - जी
विशाल- निधि! प्रतिभा कितने घरों में काम करती है ?
निधि - २
विशाल - उधर भी ३ हजार मिलते है
निधि - हां
विशाल - तुम उसे ६ हज़ार कमाने वाली को बचत का ज्ञान दे रही हो , थोडा तो संवेदनशील बनो।
निधि - तुम नहीं जानते ये लोगों के पास बहुत होता है और टैक्स भी नहीं देते हैं...
विशाल - साल का ये ७२ हजार कमा रही है, टेक्स बनता भी नही है।
प्रतिभा - चाय
निधि - देख साहब क्या बात कर रहे है, तू खुश है ना ? तू मकान खरीदना चाहती है ना?
प्रतिभा - जी
निधि - सुनिए जी कह रही है। अरे दिमाग से उतर गया अभी स्कूल खुलेगा तो भविष्य के लिए विदेशी जूते लेना, वो भी सस्ते हो गए है।
प्रतिभा - जी
निधि- प्रतिभा तू मेरे लिए बेटी जैसी है, किसी भी चीज़ की जरुरत हो , बोल देना।
प्रतिभा - एक एहसान चाहिए था
निधि - बोल
प्रतिभा - जी भविष्य को एक इंजेक्शन लगवाना था थोडा कमजोर है इसलिए ५०० रूपये उधार चाहिए थे।
निधि - अरे पगली कमज़ोर है तो नीबू पानी पिला डॉक्टर तो लूटते है।
प्रतिभा - जी, असल में भविष्य कुपोषण का शिकार है इसलिए
निधि -जाओ चावल बीनो , बस दिन भर बातें करवा लो।
प्रतिभा - जी
विशाल - (जनता) बेटी गूंगी, बेटा (भविष्य) कुपोषण का शिकार उस पर निधि (सरकार)
विशाल -जय हिन्द
उम्दा पोस्ट आभार
ReplyDeleteVicharniy....
ReplyDeleteजब जनता गूंगी है तो कुपोषण का शिकार तो होगी ही .....
ReplyDeleteऔर सर्कार इसी तरह निम्बू पानी पिला गूंगों को और मूक बना देती है ....
बहुत अच्छा व्यंग किया है आपने ....टिक्कू जी ....!!
बिलकुल साधारण संवाद में पिरोया परन्तु बहुत तीखा व्यंग ....वाह
ReplyDeleteआपके स्वागत के इंतज़ार में ...
स्याही के बूटे
system par marmi vyangy.
ReplyDeleteबहुत उम्दा कटाक्ष.
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
Deleteबढ़िया कटाक्ष!
ReplyDelete[आपकी कहानी 'कुंभ से कनाडा तक' दिमाग़ से निकाले नहीं निकलती.... :-( ]
~सादर!!!
बहुत ही सुन्दर . बढिया. आभार
ReplyDeletewah sundar vyang samaj janta or sarkar par :)
ReplyDeletejanta gungi
bahri sarkar
bhawisya pangu
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...
ReplyDelete(जनता) बेटी गूंगी, बेटा (भविष्य) कुपोषण का शिकार उस पर निधि (सरकार),
ReplyDeleteनायाब व्यंग, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
गहरा कटाक्ष ... तेज व्यंग धार ...
ReplyDeleteगूंगी बहरी जो है सरकार ... कैसे सुनेगी ओर बोलेगी ...
बहुत सुन्दर ...सटीक व्यंग...
ReplyDelete