Sunday 30 June 2013

गूंज

खनक - हेल्लो  हेल्लो  हेल्लो  गूंज !
गूंज  - हेल्लो ,हलके बोल चिल्ला  क्यो  रही है।
खनक  - अप्प्स क्यो बंद कर के बैठी है। कब से एक पिक  भेजना चहा रही हु।
गूंज - युही मूड ऑफ है।
खनक  - मूड रोक्किंग करती हु अप्प्स ओन कर गब्बर की पिक  भेजती हु।
गूंज - आहा सुनते ही  मूड ठीक होगया .... हा हा हा  अभी ओन करती हु।
खनक  -  सेंड किया ,मिला?
गूंज - हा, ही लुक्स सो  फेब! ये पोस्टर कहां से लिया ?
खनक  - इंडिया मॉल से।
गूंज - इंडिया मॉल इस  वैरी कॉस्टली।
खनक  - नही, गब्बर का पोस्टर बस २ हज़ार मै मिला।
गूंज - वऔ , कल मै भी लेके आती हु।
खनक  - कल हा हा ये गब्बर का पोस्टर है बापू का नही जो हर समय एवेलेबल  हो ...... अभी तक तो सब बिक गए होंगे।
गूंज - ये भी है , अपने लिए लिया तो मेरे लिए भी लेलेती हद  करती है ,चल बाये।
खनक  -  अरे मुझे क्या पता था यू आल्सो वांट।
गूंज - स्मार्ट मत बन तुझे मालूम है आज कल यंग इंडिया का एक ही  हीरो है ...... बाय।
खनक  - हेल्लो  हेल्लो

गूंज -उमा उमा
उमा - तमीज़ से रहो माँ हु तुम्हारी कोई फ्रेंड नही जो नाम से बुलाओ। 
गूंज - उफ़  सुबह सुबह  नही वैसे  भी माँ कहा था, न की उमा।
उमा - झूट मत बोलो
गूंज  - आप को लड़ना है?
उमा - लड़ नही रही हु बस समझाना चाह रही हु तमीज़ सीखो।
गूंज  - प्लीज प्रवचन नही।
उमा - तुम्हारी आँख खुलने से पहले सूरज ढल चूका है अगर दादाजी के सोने से पहले कामरे  से निकल ओगी तो बड़ी मेहरबानी होगी।
गूंज  - ओके ............ओके आती  हु।
उमा - थैंक्स !
गूंज  - अब वेलकम कहुगी तब ही जाओगी क्या?
उमा - तुम बत्तमीज़ थी हो और रहोगी।


गूंज - २ हज़ार दीजिये आप से बात करने आयी हू ।
उमा - क्या बत्तमिज़ी है।
गूंज - माँ दूरदर्श के आलावा आज कोई चैनल फ्री नही मिलता है।
दादा - हा हा क्या करेगी?
गूंज - गब्बर का पोस्टर लुंगी।
दादा - पोस्टर वो भी खलनायक का?
गूंज - आज का नायक है शिखर धवन।
दादा - येले तू बेटी है चैनल नही, हक है तेरा.
गूंज -शुक्रिया शुक्रिया अब कहिये दादाजी कैसे है और क्या देख रहे है ?
दादा - ठीक हु और तबाही  देख रहा हु .
गूंज   - बस ठीक क्यों  अच्छे  क्यों नही?
दादा - बस बेटा इतना इन्सान एक पल में तबहा  होगया ... ये सब देख के कैसे  अच्छा हो सकता हु।
गूंज  - आप ये रियल्टी शो देख ही क्यों रहे है।
दादा - क्या  बचपना है इतने लॊग मर गए इतने संघर्ष कर रहे है और तुम इसे रियल्टी शो कह रही हो?
गूंज   - जीहाँ  आप जो देख रहे है वो रियल्टी शो ही है। हर चैनल वाला  सब से पहले का नारा  लगा के पुराने विडियो दिखा रहा है और  हर राजनेता फोटो सैशन केलिए पोहच रहा है। चैनल टी.आर .पी  की होड़ में है और हम मनोरंजन की .....
दादा - गुड खाया कर कितना कडवा बोलती है।
गूंज - हे हे पर सच तो ये ही है।
दादा - बेटा ऐसा नही है
गूंज  - ऐसा  ही है  जब आपदा आती  है तो आर्मी वालो को हीरो बना देते है  दो दिन  गुजरने दीजिये ये घटना भी भूल जायेगे जैसे कारगिल भूल चुके है किसे याद है की कारगिल विजय दिवस जुलाई  में बनाया जाता है।  कितने जवानो ने अपना खून देके विजय दिवस बनाया था।
दादा - हाँ  मुझे याद है
गूंज  - आप की आवाज़ आप के शब्दों का साथ नही दे रही है। सचायी मानिये की हम सब स्वार्थी है। कारगिल के समय सब देश की रक्षा केलिए सीमा पर जाने केलिए उतारू थे, कुछ समय बाद एक  हाइजैक हुआ देशप्रेम सडको पर दिख रहा था हर जना आतंकवादियों को छूड वाने केलिए हाहाकार कर रहा था  और जब तक छुडवा नही दिया किसी ने सास नही ली। देश भक्ति की बाते करना और करने में अंतर होता है। ट्रेन में  आर्मी वाला आजाये  हम मुंह बनाने लगते है की अगये बिना रिजर्वेशन के।  अभी  १ महिना गुजरने दीजिये हम सब भूल जायेगे।
दादा - तुम्हारी पीढ़ी देश भक्ति नही समझेगी।
गूंज - जी अब आपने सही कहा, हम नही सम्झ्सकते आप लोगो की देश भक्ति - जीप से लेके हेलिकॉप्टर  - जुते  से लेके ताबूत तक सब में घोटाला।  दादाजी जब आप लोगो ने देश की सुरक्षा से ज्यादा घोटालो पर तरज़ी दी है तो देशभक्ति कम फिरका परस्ती अधिक दिखती है।

गूंज - सन्नाटे को चीरती हुयी सच्चाई
दादा - हें !
गूंज - कुछ नही रिलैक्स , हम वही है जो हमने देखा और अपने बनाया। मात्र किताबी ज्ञान से चीजों का निर्माण होता है है चरित्र का नही, स्माइल प्लीज।  ये २ हज़ार पीडितो केलिए।
दादा - अरे तू  अपने हीरो का पोस्टर लेले , मैंने तो दिया ही है।
गूंज - हमारे हीरो पर तो करोडो बरसाए जाते है जान पर खेल के देश बचने वालो केलिए ही चंदे मांगे जाते है।

18 comments:

  1. कितनी बेबाकी से सच्चाई लिखी है ....

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  2. एकदम सटीक सच्चाई, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति....

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  4. वाह बहुत गजब की प्रस्तुति
    बधाई

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  5. भई वाह...
    कुछ है तो !!

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  6. खुबसूरत रचना ,बहुत सुन्दर भाव भरे है रचना में,आभार !
    http://madan-saxena.blogspot.in/
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  7. बहुत ही बेहतरीन हर पंक्ति भावपूर्ण है

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  8. सुंदर..हकीकत को बयाँ किया है...

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  9. bebak aur sachcha lekhan subhkamnaye

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  10. सार्थक और भावपूर्ण .....

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  11. एक कड़वी सच्चाई को बयां करती हुई रचना.... ऐसी ही आज सुबह एक पोस्ट मेरी पेसबुक वाल पर देखी थी .... जिसमें एक नेता की याद्दाश्त का बकान था ...जिन्हें ये नहीं मालुम है कि शहीदे आजम भगत सिंह कौन थे ? ....

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  12. सुंदर प्रस्तुति।।।

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  13. सच है विरासत में यही सब पाया, फिर किसी से ईमानदारी की उम्मीद कैसे? गहन लेखन, बधाई.

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  14. सार्थक प्रस्तुति ....

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