Wednesday 1 August 2012

देश मेरा फिर दहल गया

देश मेरा फिर दहल गया ।
किसी के लिए चार धमाके हुए ।।
किसी के लिए ब्रेकिंग न्यूज़ बनी ।
किसी के लिए रियलटी  शो  शुरू  होगया ।।
किसी के लिए फेसबुक का स्टेटस हुआ ।
किसी के लिए ट्विट हुआ ।
किसी के लिए व्यपार होगया ।।
किसी के लिए राजनिति का मंच  हो गया ।

सब चल रहें है।
क्योकि  जीवन चलने का नाम है ।।
पर ना जाने क्यों ?
मुर्ख रसोई ये ना समझ पाई,
अभी भी किसी के इंतजार मे ना चलती है ना जलती है !!

3 comments:

  1. जीवन चलने का नाम है ।।

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  2. लोगों की याददाश्त बड़ी कमज़ोर होती है....
    दुखद है..

    अनु

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  3. बहुत खूब लिखा है आपने...|

    मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
    आभार..|

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