Saturday 23 January 2010

अभिव्यक्ति

जनता - "प्रजातंत्र, भाभी है?"
भाभी - "करुणा मैं रसोई मे हूँ ,आजाओ "
जनता - " भाभी, मैं करुणा नही जनता हूँ"
भाभी - "अरे जनता, आजा"
जनता - " क्या भाभी, जनता को भूल गयी"
भाभी - "कैसी बात करती हो, बस आज आवाज़ से धोखा हो गया, बिलकुल करुणा जैसी लगी"
जनता - "जनता से मिलेंगी नही, तो भूल ही जायेंगी ना"
भाभी - "जनता, अब सॉरी कहूं क्या"
जनता - "राम राम ,मै तू मजाक कर रही थी। वैसे ये सच है मेरी और करुणा की आवाज़ काफी मिलती है और आज कल तो पता ही नही चलता है जनता करुणा है या करुणा जनता है। भाभी कही ये मेरी जुड़वा बहेन तो नही?"
भाभी - "ही ही, तू भी कई बार फिल्मी हो जाती है"
जनता - "फिल्मी नही वास्तविक"
भाभी - "क्या"
जनता - "कुछ नही"
भाभी -" तेरी बाते मेरे सर के उपर से गुजरती है"
जनता - "कही, आप को नेताई फ्लू तो नही हो गया है ?"
भाभी- "पता नही, वैसे भी ये कह रहे थे ,आज कल कोई फ्लू चल रहा है ,शायद यही होगा"
जनता - "डॉक्टर को दिखा दीजिये नेताई फ्लू सब से खतरनाक फ्लू होता है, इस में जनता की आवाज़ नही सुनाई देती है"
भाभी - "डरा मत"
जनता - "डरा नही रही हू ,मेरी मानो आज छुटी है और प्रजातंत्र भी घर पे है, दिखा आइये"
भाभी- "तू सही कह रही है ,आज ही दिखाती हू कही मेरे कारण प्रजातंत्र को ना हो जाये"
जनता - "शुभ शुभ बोलिये"
भाभी - "जनता तू कितनी अच्छी है ,आ तुझे काला टीका लगा दूं"
जनता- "ही ही , मै तब तक अच्छी हूँ जब तक मेरा प्रजातंत्र बेटा स्वास्थ्य है,उसें काला टीका लगाइये"
भाभी - "जनता ये क्या हुआ तेरी आँख सूजी हुई है ? महंगाई ताई ने फिर मारा क्या?"
जनता- "भाभी छोडिये ना अब तो आदत हो गई है"
भाभी - "कैसी बात कर रही है महंगाई ताई ऐसे कैसे मार सकती है, ताऊजी (नेता) को क्यों नही बोलती है (महंगाई) सोतेली माँ मारती है"
जनता - "जब कहती हू की माँ ने मारा, तो गुस्सा हो जाते है और कहते है तू महंगाई की बुराई करती है। वो भी तेरी माँ है सोतेली है तो क्या हुआ अब तुझे महंगाई के संग रहना है। चाहें खुशी से रहो या रो के"
भाभी - "ऐसे घर कैसे चलेगा"
जनता - "आप घर की बात कर रही है यहाँ ज़िन्दगी चलनी दूभर हो गई है"

जनता - "अरे प्रजातंत्र धयान से, फ्रिज से टकरा के मत
गिरना, भाभी मैं चलती हू आप प्रजातंत्र को संभालिये"



चित्र www.google.com से लिया गया है

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