CDS ने बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत ने जो लक्ष्य तय किए थे, वे पूरे किए। बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद जैसे आतंक की फैक्ट्रियों को नेस्तनाबूद करना और पाकिस्तान की वायुसेना की रीढ़ तोड़ना — यही ऑपरेशन सिंदूर का ध्येय था, और यही हुआ भी। सेटेलाइट इमेज हों या जमीनी तस्वीरें — सब इस बात की गवाही देते हैं कि पाकिस्तान की रक्षा-संरचना बुरी तरह ध्वस्त हुई।
लेकिन हैरानी तब होती है, जब कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी, मीडिया संस्थान और विपक्षी नेता इस स्पष्ट विजयगाथा में से "विमान क्षति" जैसी बातें छांटकर पाकिस्तान के झूठे दावों को प्रमाणिकता देने में लग जाते हैं। जिस क्षति का उल्लेख स्वयं ऑपरेशन सिंदूर के समय ही कर दिया गया था — उसे अब “पहली बार की स्वीकारोक्ति” बताकर कौन-से हित साधे जा रहे हैं?
कौन-से एजेंडे को खाद-पानी दिया जा रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति के “परमाणु युद्ध” वाले अनर्गल प्रलाप को आधार बनाकर भारत को जवाबदेह ठहराने की कोशिश होती है? क्या यह भारत की संप्रभुता को नीचा दिखाने का सुनियोजित प्रयास नहीं है?
और दुख इस बात का है कि पाकिस्तान के दुष्प्रचार में केवल चीन या पश्चिमी मीडिया ही सुर नहीं मिला रहे, हमारे अपने देश के कुछ नेता भी वही राग अलापने लगे हैं। कांग्रेस नेताओं द्वारा CDS चौहान के बयान की तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत की गई व्याख्या क्या राष्ट्रहित में है? या फिर यह पाकिस्तान के मनोबल को बढ़ावा देने की सस्ती राजनीति है?
सेना जब युद्धभूमि में रणनीति बदलती है, तो वह सैन्य कौशल कहलाता है — न कि विफलता। सैन्य भाषा में इसे "लक्ष्य की पूर्ति के लिए साधनों का अनुकूलन" कहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि राष्ट्रविरोधी विमर्श इस बात को समझने की न इच्छा रखता है, न ही योग्यता।
CDS चौहान ने न पाकिस्तान की भाषा बोली, न पश्चिम का एजेंडा स्वीकारा। उन्होंने केवल यह स्पष्ट किया कि भारत ने अपने सैन्य लक्ष्य पूरे किए — चाहे उसके लिए कुछ लड़ाकू विमानों की क्षति ही क्यों न हुई हो। लेकिन यदि यह क्षति पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ने में सहायक हुई, तो क्या वह बलिदान नहीं कहलाएगा?
इसलिए अब आवश्यकता है — केवल सैन्य मोर्चे पर नहीं, वैचारिक मोर्चे पर भी सजग रहने की। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद जो वैचारिक युद्ध चलाया जा रहा है — उसमें हमें पाकिस्तान-परस्त नैरेटिव को सिरे से खारिज करना होगा। भारत की सेना ने जो किया, वह भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए आवश्यक था। और उसका सम्मान हर देशभक्त भारतीय का कर्तव्य है।
जय माँ भारती🙏🏽